केतु स्वतंत्र रूप से मंगल का प्रभाव रखता है.
राहु और केतु कोई भौतिक ग्रह नहीं हैं. इन्हें छाया ग्रह माना जाता है. ये सूर्य और चन्द्रमा के परिक्रमा मार्ग के कटान से उत्पन्न हुए हैं. राहु स्वतंत्र रूप से शनि का प्रभाव रखता है. जबकि स्वतंत्र रूप से केतु मंगल का प्रभाव रखता है. राहु किसी ग्रह के प्रभाव को कम कर देता है. केतु किसी ग्रह के प्रभाव को काफी बढ़ा देता है. राहु और केतु की दृष्टि नहीं होती है.

राहु-केतु का शुभ प्रभाव क्या है?
राहु इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार के क्षेत्र में सफलता देता है. राहु अभिनय और राजनीति के क्षेत्र में भी सफलता देता है. राहु आकस्मिक रूप से ऊंचाइयां भी देता है. केतु अनुसंधान और रहस्य के क्षेत्र में सफलता देता है. यह व्यक्ति को साहसी भी बनाता है. केतु का शुभ प्रभाव व्यक्ति को अध्यात्मिक सफलता भी देता है. यह व्यक्ति को धार्मिक स्थलों की यात्रा भी करवाता है

राहु-केतु का अशुभ प्रभाव क्या है?
राहु जीवन में आकस्मिक समस्याएं पैदा करता है. यह व्यक्ति के जीवन और आदतों को दूषित कर देता है. इसके कारण व्यक्ति मलिन और धूर्त हो जाता है. राहु अज्ञात भय, अज्ञात रोग और आत्महत्या की तरफ भी ले जाता है. केतु रोग की संभावना को काफी बढ़ा देता है. यह गंभीर विकार या किडनी के रोग और त्वचा की विचित्र समस्यायें देता है. यह कभी कभी व्यक्ति को तंत्र मंत्र के गलत रास्ते पर भी ले जाता है.

राहु-केतु की समस्याओं को दूर करने के उपाय क्या हैं?
जीवनचर्या को दुरुस्त और पवित्र बनाएं. नित्य प्रातः तुलसी के पत्ते जरूर ग्रहण करें. चन्दन के तिलक और सुगंध का प्रयोग करें. मांस मदिरा और फ़ास्ट फ़ूड का प्रयोग बंद कर दें. जहां तक संभव हो नियमित मंत्र जप करें. सलाह लेकर एक माणिक्य या मोती धारण करें.

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