भोपाल। राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत फरवरी में एक सप्ताह के मध्य प्रदेश प्रवास पर रहेंगे। एक लंबे अंतराल के बाद मध्य प्रदेश में आरएसएस का तीन दिवसीय शीतकालीन शिविर लगाया जा रहा है।

संघ नेताओं के मुताबिक संघ प्रमुख 31 जनवरी की रात को गुना पहुचेंगे, जहां से वे सीधे शिविर स्थल पर जाएंगे और 2 फरवरी तक चलने वाले महाविद्यालयीन छात्रों के शिविर में शामिल होंगे। इसके बाद भोपाल आएंगे। भोपाल में वे तीन दिन तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के जिला प्रचारक व विभाग प्रचारकों की बैठक लेंगे। इसके बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रमुख अनुषांगिक संगठनों के साथ समन्वय की बैठक लेंगे।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकारें जाने के बाद संघ प्रमुख के इस दौरे को अति महत्वपूर्ण दृष्टि से देखा जा रहा है । गौरतलब है कि मध्य भारत प्रांत में संघ का यह पहला शिविर होगा, इस शिविर में जिसमें कॉलेज के छात्रों को आमंत्रित किया गया है, में 16 जिलों के छात्र शामिल होंगे। इस शिविर को संघ प्रमुख डॉ. भागवत दो फरवरी को संबोधित करेंगे । माना जा रहा है कि इस शिविर में लगभग दो हज़ार छात्र शामिल हो सकते है।

पांच साल बाद लेंगे जिला प्रचारकों की बैठक
लगभग पांच साल के अंतराल के बाद संघ प्रमुख डॉ. भागवत इस बैठक में शामिल होने जा रहे है । संघ नेताओ के मुताबिक डॉ. भागवत दो फरवरी से प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहेंगे । इस शिविर के दौरान 3 फरवरी को संघ प्रमुख मप्र और छत्तीसगढ़ के जिला प्रचारकों की बैठक लेंगे। इस लिहाज से इस बैठक को अति महत्वपूर्ण मना जा रहा है । दूसरे दिन वे चार फरवरी को मप्र-छत्तीसगढ़ क्षेत्र यानी दोनों राज्यों के विभाग प्रचारकों के साथ गहन मंथन करेंगे। इसके बाद पांच और छह फरवरी को सर संघचालक आरएसएस से जुड़े अनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगे। इसमें भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय मजदूर संघ, विश्व हिंदू परिषद जैसे 15 बड़े संगठनों के अध्यक्ष और संगठन महामंत्री शामिल होंगे।

नागरिकता कानून में बदलाव के बाद इन दिनों पूरे देश में सियासत गर्म है। इस लिहाज से संघ की इस बैठक पर सबकी नजर रहेगी । माना जा रहा है कि धारा 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने, तीन तलाक और सीएए के बाद जिला प्रचारकों की भूमिका कैसी और क्या होनी चाहिए, समाज में वे क्या संदेश दें, जिससे कि सामाजिक समरसता बनी रहे, इस दृष्टि से बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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