महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के शिरडी साईं मंदिर में दर्शन शुरू करने को लेकर तैयारियां चल रही हैं। मंदिर ट्रस्ट इसके लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट से सलाह भी ले रहा है। दोनों ट्रस्टों में हाल ही में बात हुई है। तिरुपति ट्रस्ट भी इसे लेकर उत्साहित है। तिरुपति और शिरडी दोनों ही लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं और दोनों ही मंदिर देश के सबसे अमीर धर्म स्थलों में शुमार हैं। वहीं, असम के प्रसिद्ध कामाख्या शक्तिपीठ में अभी सिर्फ मंदिर की परिक्रमा शुरू करने पर सहमति बनती दिख रही है। मंदिर का गर्भगृह फिलहाल बंद ही रहेगा।
तिरुपति ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक, जब भी महाराष्ट्र सरकार मंदिर खोलने की अनुमति देगी, तिरुपति ट्रस्ट शिरडी में दर्शन व्यवस्था शुरू करने के लिए पूरा मार्गदर्शन देगा। तिरुपति मंदिर में 11 जून से लेकर अभी तक लगभग 6 लाख लोगों ने दर्शन किए हैं, लेकिन इनमें से एक भी कोरोना संक्रमित नहीं हुआ। मंदिर में कई तरह के सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं, जिनको शिरडी ट्रस्ट के अधिकारियों के साथ साझा किया गया है।
शिरडी ट्रस्ट के पीआरओ मोहन यादव के मुताबिक, मंदिर में दर्शन शुरू करने को लेकर तैयारियां जारी हैं। कोरोना के मद्देनजर पूरी सुरक्षा के साथ दर्शन शुरू किए जाएंगे। अभी तिरुपति ट्रस्ट से इस बारे में पूरी जानकारी ली है। अभी सरकार से कोई गाइडलाइन नहीं मिली है और ना ही मंदिर खोलने की कोई तारीख तय हुई है। राज्य सरकार की गाइडलाइन के बाद ही दर्शन शुरू हो सकेंगे।
शिरडी ट्रस्ट को रोजाना करोड़ों के दान का नुकसान
शिरडी साईं मंदिर 17 मार्च से ही बंद है। यहां कोरोना से पहले रोजाना करीब 60 हजार श्रद्धालु दर्शन करते थे। गुरू पूर्णिमा और अन्य त्योहारों के सीजन में यहां दर्शन करने वालों की संख्या एक लाख से भी ज्यादा होती है। मंदिर के प्रति लोगों की आस्था का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन के दौरान भी मंदिर को ऑनलाइन 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा का दान मिला है।
शिरडी साईं मंदिर को सालाना करीब 600 करोड़ रुपए का दान मिलता है। इस हिसाब से मंदिर को रोजाना डेढ़ करोड़ रुपए के दान का नुकसान हो रहा है। तिरुपति के बाद शिरडी ट्रस्ट दूसरा मंदिर है, जो सीधे-सीधे हजारों लोगों के लिए रोजगार का साधन है। शिरडी ट्रस्ट में करीब 8000 कर्मचारी हैं।
महाराष्ट्र में मंदिर खोलने को लेकर राजनीति
महाराष्ट्र में सारे मंदिर और मस्जिद खोलने को लेकर राजनीति लगातार बढ़ती जा रही है। विपक्ष में बैठी भाजपा मंदिर खोलने के लिए सरकार पर दबाव बना रही है। इसके लिए हाल ही में पूरे राज्य में घंटनाद के नाम से मुहिम भी चलाई गई थी। कई जगह जबरन मंदिर खोलने की भी कोशिश की जा रही है। ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर को खोलने के लिए भी लगातार दबाव बनाया जा रहा है। श्राद्ध पक्ष में यहां श्रद्धालुओं की खासी संख्या होती है। हर साल करीब 5 लाख लोग श्राद्ध पक्ष में आते हैं। लेकिन, इस साल यहां सन्नाटा पसरा है। 200 से ज्यादा पुरोहित परिवार लगभग 6 महीने से खाली बैठे हैं।
कामाख्या में स्थिति खराब, कामरूप कोरोना का हॉट स्पॉट
वहीं, असम के कामरूप शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर में दर्शन शुरू करने को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। मंदिर समिति फिलहाल मंदिर की परिक्रमा का रास्ता खोल सकती है। मुख्य गर्भगृह बंद रहेगा, लोग केवल मंदिर की परिक्रमा कर सकेंगे। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार से बात की जा रही है। असम में अभी तक 1.30 लाख से भी ज्यादा केस आ चुके हैं और कामरूप जिला कोरोना का हॉट स्पॉट बना हुआ है। पिछले 24 घंटों में यहां 750 से ज्यादा पॉजिटिव केस आए हैं। इसलिए मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन दोनों ही मंदिर खोलने के पक्ष में नहीं हैं। अब मंदिर ट्रस्ट ये प्रस्ताव बना रहा है कि मंदिर की परिक्रमा खोल दी जाए, ताकि जो लोग चाहे वो मंदिर तक आकर मुख्य परिसर की परिक्रमा कर सकें। एक बार में 100 से ज्यादा लोगों को अनुमति नहीं दी जाए।
कामाख्या में कर्मचारियों को सिर्फ 40 प्रतिशत सैलेरी
कामाख्या मंदिर में दान की आवक इस समय लगभग ना के बराबर ही है। पिछले 6 महीनों में मंदिर की आर्थिक स्थिति खासी प्रभावित हुई है। हर साल जून में लगने वाला प्रसिद्ध अंबुवाची मेला भी नहीं लगा, इससे मंदिर को मिलने वाला दान लगभग शून्य हो गया है। मंदिर के सफाई कर्मचारियों को तो पूरी सैलेरी दी जा रही है, लेकिन जो स्टाफ घर पर है उसे सिर्फ 40 प्रतिशत सैलेरी ही दी जा रही है। मंदिर में करीब 250 कर्मचारी ही हैं।