नई दिल्ली। अयोध्या की संस्कृति, लोक परम्परा, लोकगीत, लोकनृत्य और अध्यात्म के तीन दिवसीय संगम ‘अयोध्या पर्व’ का रविवार को समापन हो गया। समापन समारोह को संबोधित करते हुए समन्वय परिवार ट्रस्ट के मार्गदर्शक, महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम भारत की अस्मिता और पहचान हैं। राम का नाम ही विजय का आधार है। श्रीराम अपने जीवनकाल में कोई युद्ध नहीं हारे थे इसलिए उनके नाम पर लड़ी गयी हर लड़ाई में जीत अवश्यंभावी है। इसी आधार पर हम सभी संतों को यह पूरा विश्वास था कि अयोध्या की लड़ाई भी हम जीतेंगे और हमने यह लड़ाई जीती भी।

स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के स्वामित्व विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे विश्वास और हमारी मान्यता पर ही मोहर लगायी है। यह विजय हमारी परम्परा की विजय है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जो सर्वश्रेष्ठ बातें हैं, उसको हमें पूरी दुनिया में पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। लोग भारत की विशेषता जानने को उत्सुक हैं और आशा भरी निगाहों से हमारी ओर देख रहे हैं।

तीन दिवसीय ‘अयोध्या पर्व’ का आयोजन श्री अयोध्या न्यास के तत्वावधान में दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) परिसर में किया गया। इस पर्व का शुभारंभ शुक्रवार (28 फरवरी) को हुआ था। आईजीएनसीए के अध्यक्ष एवं हिन्दुस्थान समाचार के समूह सम्पादक रामबहादुर राय के मार्गदर्शन में और फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह के संयोजकत्व में इसका आयोजन किया गया। यह दूसरी बार है जब न्यास ने ‘अयोध्या पर्व’ का आयोजन किया है। पहली बार भी यह कार्यक्रम आईजीएनसीए परिसर में चार से छह जनवरी, 2019 को आयोजित किया गया था।

अयोध्या आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह ‘पंकज’ ने भी समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या हम लोगों में किसी न किसी रूप में समाई हुई है। राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि राम की अयोध्या हम सबकी अयोध्या है। पूरे विश्व की अयोध्या है।

आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कि प्रथम अयोध्या पर्व की यह उपलब्धि ही कही जाएगी कि अयोध्या का मुकदमा हम जीत गए। प्रथम अयोध्या पर्व के दौरान किसी ने यह नहीं सोचा था कि इस मुकदमे का फैसला इतनी जल्दी आ जाएगा। उन्होंने कहा कि अशोक सिंहल को छोड़कर अयोध्या आंदोलन में लगे किसी भी योद्धा को यह विश्वास नहीं था कि अयोध्या का मुकदमा हम जीतेंगे। आंदोलन के नेताओं को तो यह भरोसा ही नहीं था कि यह फैसला ऐसा आएगा, लेकिन अशोक सिंहल को पूरा विश्वास था।

वरिष्ठ पत्रकार राय ने कहा कि श्रीराम पूर्णावतार माने जाते हैं। उनके जन्मस्थान की मुक्ति का सदियों पुराना प्रश्न अब हल हो गया है। पुनः उपासना स्वातंत्र्य, सर्वपंथ सम्भाव और सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जागरण जो शुरू होगा वह विराट अयोध्या से प्रेरणा प्राप्त कर सकेगा। उसका लक्ष्य रामराज्य होगा। जिसमें सुशासन के आदर्श की ऊंचाई होगी, ऐसे लक्ष्य का स्मरण करना ही अयोध्या पर्व की सार्थकता है। इसकी पहल एवं योजना का श्रेय लोकसभा सदस्य और अयोध्या आंदोलन के एक स्तंभ लल्लू सिंह को है। समापन समारोह में गोंडा के भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह समेत कई प्रमुख लोग मौजूद रहे।

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