लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल की बदौलत उत्तर प्रदेश में ‘सरसाई नावर झील’, ‘नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य’, ‘समसपुर पक्षी अभ्यारण्य’, ‘सांडी पक्षी अभ्यारण्य’, ‘पार्वती अर्गा पक्षी अभ्यारण्य’ तथा ‘समन पक्षी अभ्यारण्य’ कुल 06 नये रामसर साइट घोषित किये गये हैं। रामसर कनवेंशन के गठन के करीब पांच दशक बाद तक उत्तर प्रदेश में अभी तक सिर्फ एक वेटलैंड अपर गंगा-ब्रजघाट से नरौरा तक ही रामसर साइट घोषित था।

उत्तर प्रदेश जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की बागडोर संभालने के साथ ही वेटलैंड के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। इसी कड़ी में उन्होंने आद्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंध नियम-2017 के तहत 11 जनवरी 2018 उत्तर प्रदेश राज्य आद्रभूमि प्राधिकरण गठित किया। इसके साथ ही मुंबई प्राकृतिक इतिहास सोसायटी ने सर्वेक्षण कर रामसर साइट के लिए संभावित 20 स्थलों की सूची बनाई। 5 अक्तूबर 2018 को उत्तर प्रदेश राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की दूसरी बैठक में 20 में 12 वेटलैंड को प्राथमिकता के आधार पर संभावित रामसर स्थलों में शामिल करने के लिए भारत सरकार को भेजे जाने को लेकर निर्णय किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर विचार के बाद भारत सरकार ने रामसर कनवेंशन की वेबसाइट पर छह स्थलों के प्रस्ताव अपलोड किए।

बाघों की प्राकृतवास की सुरक्षा को एसटीपीएफ गठित
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान के मुताबिक दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में बाघों व उनके प्राकृतवास की सुरक्षा के लिए स्पेशल टाईगर प्रोटेक्शन फोर्स (एसटीपीएफ) का गठन किया गया है। साथ ही एसटीपीएफ में पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर लिया गया है। दुधवा नेशनल पार्क में टूरिज्म के विकास के लिए पर्यटकों की सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए वन विश्राम गृहों तथा आन्तरिक मार्गों का सुदृढ़ीकरण कर इसे सुसज्जित किया जा रहा है।

ईको टूरिज्म में नये स्थल किए जा रहे चिह्नित
प्रदेश में ईको टूरिज्म को प्रोत्साहन देने के लिए नये स्थलों को चिह्नित करने के साथ ही पूर्व में चयनित स्थलों में आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जा रहा है। ईको पर्यटन को गति देने के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये हैं।

एलीफैन्ट योजना और आईडीडब्ल्यूएच से बदलेगी तस्वीर
इसके अतिरिक्त प्रदेश के तीन वन प्रभागों शिवालिक, बिजनौर सामाजिक वानिकी प्रभाग एवं नजीबाबाद, जहां हाथियों की संख्या बहुत है, उनमें प्रोजेक्ट एलीफैन्ट योजना क्रियान्वित की जा रही है। प्रदेश के सभी पक्षी विहारों एवं वन्य जीव विहारों के विकास एवं प्रबन्धन के लिए इन्टीग्रेटेड डेवलपमेन्ट आॅफ वाइल्ड लाइफ हैबीटेट्स (आईडीडब्ल्यूएच) योजना क्रियान्वित की जा रही है।

क्या है रामसर कनवेंशन
दरअसल 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में वेटलैंड्स को लेकर सम्मेलन हुआ था। इसमें रामसर कनवेंशन का गठन दुनिया भर की आद्रभूमि को सुरक्षित-संरक्षित करने के लिए किया गया। यह अंतरराष्ट्रीय समझौता आर्द्रभूमि के संरक्षण और बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है। यह एकमात्र वैश्विक संधि है जो एकल पारिस्थितिकी तंत्र से सम्बंध रखती है। इसमें दुनिया के 170 से ज्यादा देश भागीदार हैं। 2100 से ज्यादा वेटलैंड इसकी सूची में दर्ज है। वेटलैंड प्रकृति एवं पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसकी सूची में शामिल वेटलैंड्स को ही रामसर साइट्स कहा जाता है।

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