तेजबहादुर ने पहले इलहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री के निर्वाचन को खारिज करने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि ऐसी मांग सिर्फ वही व्यक्ति कर सकता है जो उस सीट से चुनाव लड़ा हो। हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि तेजबहादुर 2019 में वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़े थे, इसलिए वो वहां से जीते प्रत्याशी का निर्वाचन रद्द करने की मांग नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने चौथी बार मामला टालने की अर्जी ठुकराई
इलाहाबाद हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद तेजबहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। बुधवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने तेजबहादुर के वकील प्रदीप यादव से मामले में जिरह करने को कहा तो उन्होंने मामले को एक बार फिर से टालने की अपील कर डाली। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रधानमंत्री का पद अपने आप मे विशिष्ट और देश का इकलौता पद है। इसलिए, उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को यूं ही महीनों तक लटकाए नहीं रखा जा सकता है। सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले ही पर्याप्त अवसर दिया जा चुका है।

वहीं, पीएम मोदी के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि तेज बहादुर ने 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से 24 अप्रैल को निर्दलीय और 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में दो बार नामांकन का पर्चा भरा। पहले नामांकन पर्चे में उन्होंने नौकरी से बर्खास्तगी की जानकारी नहीं दी लेकिन दूसरे पर्चे में बताया कि वो बीएसएफ से बर्खास्त हो चुके हैं। साल्वे ने कहा कि इसी विरोधाभास के कारण उनका नामांकन खारिज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि रिटर्निंग ऑफिसर ने उनसे नियमों के मुताबिक योग्यता का प्रमाणपत्र चुनाव आयोग से लेने को कहा, लेकिन उस पर तेजबहादुर का जवाब संतोषजनक नहीं था।

ध्यान रहे कि बीएसएफ से एनओसी पेश न कर पाने पर 1 मई को रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके नामांकन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसे 19 अप्रैल, 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, तेज बहादुर की दलील थी कि उन्हें अनुशासनहीनता के लिए बर्खास्त किया गया था न कि भ्रष्टाचार के लिए। बहरहाल, तेज बहादुर का नामांकन रद्द होने के बाद एसपी ने शालिनी यादव को अपना कैंडिडेट घोषित किया था। लोकसभा चुनाव में शालिनी को करारी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा। शालिनी को 1,95,159 वोट मिले थे और वह दूसरे स्‍थान पर रही थीं।

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