अहमदाबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि प्रमुख स्वामी महाराज ने बोचासणवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) को विश्व व्यापी बनाकर ईश्वर भक्ति, धर्म श्रद्धा, राष्ट्रप्रेम और मानवता की सेवा के लिए अपना समग्र न्यौछावर किया। इसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जीवन में पवित्रता का भाव आया और उनका जीवन सार्थक होकर प्रसन्नता से भरा रहा। उन्होंने प्रमुख स्वामी महाराज को नमन करते हुए जन्म शताब्दी महोत्सव के आयोजन के लिए महंत स्वामी समेत अन्य सभी संतों का अभिवादन किया। होसबाले अहमदाबाद के एसपी रिंग रोड स्थित प्रमुख स्वामी नगर में आयोजित राष्ट्रीय संत सम्मेलन के अवसर पर बोल रहे थे।

होसबाले ने कहा कि यह एक संत की जन्म शताब्दी महोत्सव मात्र नहीं है। प्रमुख स्वामी महाराज ने अपने लिए या स्वामीनारायण संस्था के लिए ही सिर्फ कार्य नहीं किया। उन्होंने राष्ट्र, धर्म और समस्त जनता के लिए कार्य किया है। इसलिए यह महोत्सव लाखों लोगों के जीवन में पवित्रता और पावन भावनाओं को उजागर करने का पवित्र कार्यक्रम हैं। इस पावन नगरी में आकर लोग अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं, शांति प्राप्त करते हैं। साथ ही उनके जीवन में धर्म के मार्ग पर चलने का एक संकल्प जागृत होता है। इससे बड़ा कोई दूसरा कार्य नहीं हो सकता है, यह सबसे बड़ी मानव सेवा है।

होसबाले ने कहा कि लोगों में एक सात्विक संतोष पैदा करना ही ईश्वर पूजा है। मानव मन की गहराई में रहने वाला सात्विक संतोष लोगों में उत्पन्न करना ही संतों के जीवन का लक्ष्य है। प्रमुख स्वामी महाराज ने विश्व भर के लाखों लोगों के जीवन में आध्यात्मिक आनंद, संतोष को उजागर किया। लोगों को पवित्रता के पथ पर चलने की प्रेरणा दी। इसकी वजह से समग्र विश्व में लाखों करोड़ों लोग उनका सत्संग करते हैं।

सरकार्यवाह ने कहा कि सत्य, शुचिता, करुणा और तपस्या यह चार आयाम धर्म का प्रकटीकरण है। प्रमुख स्वामी महाराज ने इन चारों आयामों में धर्म को प्रतिपल, प्रतिदिन प्रकट किया। उनके जीवन के कई प्रसंगों से उनकी आंखों में आंसू आ जाता है। प्रमुख स्वामी के जीवन का सूत्र था कि अन्य के आनंद में खुद का आनंद, दूसरे के सुख में अपना सुख देखकर प्रतिपल परोपकारी बनकर अपने जीवन को दूसरों के लिए उदाहरण स्वरूप बनाया जाए।

बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) भारत ही नहीं बल्कि समस्त विश्व में सेवा के अनेक कार्य किए हैं। धर्म भारत में जीवंत है, संस्कृति भारत में प्रभावगत है, इस धर्म और संस्कृति के मार्ग पर चलने वाले लोग समाज, राष्ट्र, विश्व के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रमुख स्वामी महाराज के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में हम अपने जीवन को पवित्र, पावन बनाने का संकल्प करे। इस अवसर पर विभिन्न महामंडलेश्वर, संत-महंतों ने भी आशीर्वचन दिया।

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