नई दिल्ली।  मन में अगर जज्बा और लगन हो तो इंसान मुश्किल से मुश्किल काम को भी कर जाता है. झारखंड के धनबाद में एक दिहाड़ी मजदूर ने अपनी कड़ी मेहनत से बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना दिया. एक समय था जब इस जमीन पर कंकड़ और बड़े-बड़े पत्थर हुआ करते थे. लेकिन आज चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है.

 

टाटा सिजुआ के रहने वाले उमा महतो पहले दिहाड़ी मजदूर थे और मजदूरी से वो इतना पैसा भी नहीं कमा पाते थे कि जिससे उनका घर चल सके. इसके बाद उमा ने कुछ अलग करने की ठानी. वे खेती करना चाहते थे, लेकिन उनके पास इतनी जमीन भी नहीं थी कि जिस पर वो खेती कर सकें.

 

उमा की नजर कंकड़-पत्थर से भरी खाली जमीन पर पड़ी. उन्होंने कड़ी मेहनत से उस जमीन को समतल किया और फिर इसकी जुताई शुरू की इसके बाद खेती करना शुरू कर दिया. अब उमा महतो इस दो एकड़ जमीन से सालाना तीन लाख रुपये कमा रहे हैं.

उमा महतो का कहना है कि इस बंजर जमीन पर खेती करना आसान नहीं था. इसके लिए उन्होंने खेती करने का तरीका बदला. पारंपरिक खेती को छोड़ ड्रीप इरिगेशन से सिंचाई की. इससे पानी की काफी बचत हुई और पौधौं को भी कोई नुकसान नहीं हुआ.

 

उमा के इस काम में पत्नी शांति देवी ने उन्हें पूरा सहयोग दिया. वो खेत में भिंडी, करेला, टमाटर और तरबूज उगा रहे हैं. उमा ने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें मदद मिली है पर निगम क्षेत्र की वजह से ज्यादा मदद नहीं मिल सकी. वो किसानों को मिलने वाले कई लाभ से वंचित भी रहे.

 

वहीं उमा की पत्नी शांति देवी का कहना है कि इस काम से वो बेहद खुश हैं और अब उन्हें घर चलाने में दिक्कतों का सामना  नहीं करना पड़ रहा है. पहले उन्हें खेती का काम बिल्कुल भी नहीं आता था. लेकिन पति ने सबकुछ सिखा दिया है. वो न सिर्फ खेती में पति का साथ देती हैं, बल्कि ज्यादातर काम खुद ही कर लेती हैं. शांति देवी का कहना है कि सरकार एक तालाब की स्वीकृति दे दे तो सिंचाई में काफी मदद मिल जाएगी.

 

दिहाड़ी मजदूरी से घर चलाने वाले उमा महतो आज एक सफल किसान बन गए हैं. उन्हें अपनी कामयाबी से बेहद खुशी है उन्होंने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है. आज पूरे इलाके में उमा महतो की चर्चा हो रही है.

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