नई दिल्ली। दिल्ली बार काउंसिल(बीसीडी) ने अपने एक वकील का लाइसेंस सस्पेंड करते हुए उसे कारण बताओ नोटिस भेजा है।

वकील पर आरोप है कि वह कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में आवंटित अपने चेंबर का इस्तेमाल धर्मांतरण और निकाह आदि कराने जैसी गतिविधियों के लिए कर रहा था।

हालांकि, वकील इकबाल मलिक ने आरोपों का खंडन किया है।

दरअसल, बीसीडी सचिव पीयूष गुप्ता ने वकील इकबाल मलिक का नामांकन निलंबित करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया।

इसमें कहा गया कि डीबीए को पटपड़गंज निवासी सोहन सिंह तोमर नाम के एक व्यक्ति से शिकायत मिली, जिसमें आरोप लगाया गया कि आपके (इकबाल मलिक) चेंबर का इस्तेमाल समाज-विरोधी और अवैध गतिविधियों के लिए हो रहा है।

यहां तक कि आपके चेंबर में धर्म परिवर्तन और मुस्लिम विवाह(निकाह) कराया जा रहा है।

बीसीडी ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोपों और दस्तावेजों को देखते हुए पहली नजर में किसी वकील या अन्य व्यक्ति को कोर्ट परिसर या चेंबर में निकाह कराने जैसी गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती है, इसीलिए उसकी ओर से मामले में कार्रवाई बनती है।

आरोपों की गंभीरता को देखते हुए और संस्थान की गरिमा और विश्वसनीयता बनाए रखने के वास्ते मामले में गहराई से जांच के लिए बीसीडी चेयरमेन रमेश गुप्ता ने तीन सदस्यों वाली एक विशेष अनुशासनात्मक समिति का गठन किया।

उन्होंने फैसला लिया कि जब तक समिति अपनी जांच रिपोर्ट नहीं दे देती, तब तक इस वकील का लाइसेंस सस्पेंड रहेगा। उसे कारण बताओ नोटिस मिलते ही सात दिनों के भीतर उसका जवाब देने और 16 जुलाई को शाम चार बजे समिति के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया

वहीं, एडवोकेट इकबाल मलिक ने आरोपों को झूठा बताया। उन्होंने कहा, ‘सब झूठ है। लड़की बालिग है और उसने अपनी मर्जी से सबकुछ किया है। अब वह लड़के के साथ रह रही है। प्रोटेक्शन उसे हाई कोर्ट ने दे रखा है। यह तो परेशान करने के लिए ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं।’

धार्मिक स्थल पर होने वाली गतिविधियों को चेंबर से चलाने के आरोपों के बारे में मलिक ने कहा, ‘आरोप तो कुछ भी लगा सकते हैं, उन्हें प्रूफ भी तो करना होगा, एक जगह मस्जिद है क्या… सचाई यही है कि आरोप झूठे हैं। लड़की ने अपने मां-बाप से सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, हाई कोर्ट ने उसे प्रोटेक्शन दे दिया। लड़की लड़के के साथ रह रही है।’ निकाह कहां हुआ? इस सवाल के जवाब में मलिक ने कहा कि निकाह मस्जिद में हुआ है। निकाह कराने का काम काजी का होता है, वकील का नहीं। काजी जाने क्या है कहानी।

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