नई दिल्‍ली।  केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च को देशभर के बिजली कर्मचारियों (power sector employees) ने हड़ताल करने का फैसला लिया है. इस देशव्‍यापी हड़ताल का निर्णय बुधवार को बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी (NCCOEEE) की बैठक में लिया गया.

देशभर के श्रम संगठनों के आह्वान पर सभी राज्यों के बिजली कर्मचारी भी इस दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल में भाग लेंगे. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रेसिडेंट शैलेंद्र दूबे ने बताया कि सभी राज्यों के बिजली कर्मचारी भी केंद्र सरकार की निजीकरण की नीति के विरोध में हड़ताल में शामिल होंगे.

ये है मुख्‍य मांगें
शैलेंद्र दूबे ने बताया कि केंद्र की निजीकरण की नीतियों से कर्मचारियों में रोष है. बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की मुख्य मांगें हैं कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को वापस लिया जाए तथा सभी प्रकार की निजीकरण प्रक्रिया को बंद की जाए. केंद्र शासित प्रदेशों खासकर मुनाफा कमाने वाले चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली दमन दिउ तथा पुडुचेरी में बिजली के निजीकरण करने के निर्णय को तुरंत रद्द किया जाए और बिजली बोर्डों के विघटन के बाद नियुक्त किए गए सभी बिजली कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए.

बैंक कर्मचारी भी रहेंगे हड़ताल पर
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के कर्मचारी 28-29 मार्च की हड़ताल में शामिल होंगे. विभिन्‍न बैंकों के कर्मचारी संगठनों ने 28-29 मार्च को दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. इससे बैंक सेवाओं पर असर पड़ सकता है. हड़ताल का आह्वान सरकारी बैंकों के निजीकरण और बैंक कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में किया गया है.

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