दुनिया भर में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का खौफ है। इससे जहां विश्व में 11 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख दस हजार के पार हो गई है। लेकिन हाल ही में एक अध्ययन में दावा किया गया कि दुनिया भर के लिए वायु प्रदूषण कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है, जिससे हर साल लाखों लोगों की जान जा रही है। पिछले साल अकेले भारत में वायु प्रदूषण से 16.70 लाख लोगों की मौत हुई है।

इन शीर्ष पांच कारकों से हुईं सबसे अधिक मौतें :
द लैंसेट जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित अध्ययन ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ (GBD) के मुताबिक, भारत में पिछले साल होने वाली मौतें के लिए वायु प्रदूषण, उच्च रक्तचाप, तंबाकू का उपयोग, खराब खानपान और मधुमेह शीर्ष पांच जोखिम वाले कारक हैं। इस अध्ययन में 200 से अधिक देशों में मृत्यु के 286 से अधिक कारण और 369 बीमारियों एवं जख्मों का आकलन किया गया है।
उच्च रक्तचाप से 14.70 लाख लोग मरे :
अध्ययन में कहा गया कि भारत में पिछले साल वायु प्रदूषण से करीब 16.70 लाख, उच्च रक्तचाप से करीब 14.70 लाख, तंबाकू से करीब 12.30 लाख, खराब खानपान की वजह से करीब 11.80 लाख और डायबिटीज से करीब 11.20 लाख लोगों की मौत हुई।

वैज्ञानिकों ने बताया कि अध्ययन में कई जोखिम वाले कारकों और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) वा प्रकाश डाला गया है। इनमें मोटापा और मधुमेह शामिल हैं, जो मौत के खतरे से संबंधित है। इन बीमारियों को लेकर अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। मौत के लिए जिम्मेदार अधिकांश जोखिम वाले कारक रोकथाम योग्या और उपचार योग्य हैं, इनसे निपटने से भारी सामाजिक और आर्थिक लाभ पहुंचेगा। इसलिए इनसे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। हेल्दी दिनचर्या अपना कर और खानपान में बदलाव कर कुछ बीमारियों से निपटा जा सकता है।

 

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