त्रिवेंद्रम। केरल के 1,248 मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड अपनी आय बढ़ाने के लिए मंदिरों के लगभग 1200 किलो सोने को आरबीआई के पास रखने की तैयारी कर रहा है। इससे बोर्ड को हर साल करीब 13.5 करोड़ की आय होगी। ये सोना फिलहाल मंदिरों में आभूषण और बर्तनों के रूप में है।

बोर्ड इन्हें गलाकर ठोस सोने में बदलेगा। अनुमान है कि इस सोने की कीमत करीब 540 करोड़ रुपए है। त्रावणकोर बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में पद्मनाभम स्वामी, सबरीमाला और गुरुवायुर जैसे बड़े मंदिर आते हैं।
केरल के इन मंदिरों के पास काफी पुराने और ऐतिहासिक आभूषण भी हैं, बोर्ड इन प्राचीन महत्व के आभूषणों को वैसे ही रहने देगा। इनकी कीमत भी करोड़ों में है और, ये प्राचीन गहने उत्सवों में उपयोग में आने वाले हैं। इस योजना में केवल उन गहनों और बर्तनों का उपयोग होगा, जो पिछले कुछ सालों में मंदिरों को दान में मिले हैं। इसके साथ ही बोर्ड 28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन और सेवा की व्यवस्था भी कर रहा है, इससे भी मंदिरों की आय में इजाफा होगा।

इससे पहले त्रावणकोर बोर्ड ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मंदिर में रखे सैंकड़ों टन तांबे के दीपक और बर्तनों की नीलामी का फैसला किया था, हालांकि इस पर बाद में विवाद उठा और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इस फैसले को टाल दिया। इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने भी बोर्ड से जवाब मांगा है। लोगों ने अपील की थी कि बोर्ड को मंदिर की संपत्तियों की इस तरह नीलामी नहीं करनी चाहिए।

कोरोना वायरस और लॉक डाउन के चलते ज्यादातर मंदिरों में दान की कमी हो गई है। ऐसे में मंदिरों को अपने रोज के खर्च और पुजारियों की सैलेरी का खर्च निकालने में परेशानी हो रही है। हालांकि, अब स्थिति सुधर रही है।

कई जगह मंदिर खुलने से हालात सामान्य होने लगे हैं, लेकिन मंदिरों में पहले जितना दान मिलने और इनकम होने में काफी समय लग सकता है। अकेले सबरीमाला मंदिर को लॉकडाउन के दौरान 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

पद्मनाभम मंदिर में हर महीने 3 से 5 करोड़ रुपए दान आता था, जो लॉकडाउन में सिर्फ 7.5 लाख रह गया। इसी तरह गुरुवायुर मंदिर में भी 5 करोड़ के मुकाबले 5-7 लाख की ही आय हुई। त्रावणकोर बोर्ड में करीब 6,500 कर्मचारी हैं। इनमें पुजारी भी शामिल हैं। बोर्ड को मंदिरों के रखरखाव के साथ स्टाफ मैनेजमेंट के लिए भी हर महीने बड़ी रकम की जरूरत होती है।

बोर्ड के अध्यक्ष एन. वासु ने मीडिया को बताया कि मंदिरों में रखे सोने की मात्रा का हिसाब लगाया जा रहा है। ये 1200 किलो से ज्यादा ही है। इससे 2.5 प्रतिशत रिटर्न के हिसाब से बोर्ड को 13 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा पैसा मिल सकता है। जल्दी ही बोर्ड की मीटिंग में इस प्रस्ताव को रखकर फैसला लिया जाएगा। इस महीने के अंत तक सोने का पूरा वैल्यूएशन कर लिया जाएगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के तहत आने वाले गुरुवायुर मंदिर का करीब 700 किलो सोना 2019 में बैंक में रखा गया। इसके अलावा भी मंदिर के करीब 1500 करोड़ रुपए बैंक में जमा हैं। इससे मंदिर को हर महीने करीब 10 करोड़ रुपए की इनकम होती है। इस रकम से मंदिर की व्यवस्थाएं चलती हैं।

28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन पूजा और दर्शन

बहुत ज्यादा लोग अभी मंदिर नहीं जा पाएंगे और मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से बड़े उत्सव नहीं हो सकेंगे। इसे देखते हुए त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने अपने 28 बड़े मंदिरों में वर्चुअल पूजा-सेवा शुरू करने का फैसला लिया है। ताकि लोग मंदिर आए बिना भी ऑनलाइन दर्शन और सेवाएं कर सकें। इससे मंदिरों की आय भी बढ़ेगी।

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