भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दो दिवसीय क्षेत्रीय बैठक बुधवार को शारदा विहार सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय परिसर में शुरू हो गई। बैठक के महत्व को देखते हुए देररात से ही संघ से जुड़े विविध संगठन के पदाधिकारियों का आना शुरू हो गया था जो सुबह 8 बजे तक जारी रहा। संघ प्रचारक श्रेणी के पदाधिकारी दो दिन पहले ही आ गए थे । माना जा रहा है कि इस बैठक के माध्यम से संघ अपने सभी समविचारी अनुषांगिक संगठनों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की मौजूदा स्थितियों की समीक्षा कर रहा है और अगले एक साल के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर अपना एजेंडा तय करेगा। इस बार संघ का सबसे अधिक फोकस महिला कार्य, युवाओं एवं ग्राम विकास पर दिखाई दे रहा है ।
उल्लेखनीय है कि अपने कार्य के लिए सुविधा की दृष्टि से संघ ने अपने कार्य को मध्य प्रदेशऔर छत्तीसगढ़ में चार प्रांतों में बांटा है, जिसमें कि मध्य भारत, मालवा और महाकौशल मध्य प्रदेश में आते हैं जबकि छत्तीसगढ़ को संघ अपना एक प्रांत मानता है। अपने कार्य को विस्तार देने एवं जीवनवृति पूर्णकालिक प्रचारकों को सर्वप्रथम पाथेय देने एवं कार्य करते वक्त उन्हें आ रही कठिनाइयों को जानने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक पिछले तीन दिन से भोपाल में हैं। उन्होंने गत दो दिनों में जिला और विभाग प्रचारकों की बैठकें ली हैं और उन्हें कार्य संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश एवं अपना पाथेय प्रदान किया है।
इस बैठक को लेकर संघ से जुड़े अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बुधवार और गुरुवार को जो क्षेत्रीय समन्वय बैठक हो रही है, इसमें भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय मजदूर संघ, विश्व हिंदू परिषद, हिन्दू जागरण मंच, सेवाभारती, विद्याभारती, इतिहास संकलन समिति, ग्राम भारती, ग्राहक पंचायत, सहकार भारती, समेत करीब 20 से अधिक अनुषांगिक संगठनों के संगठन मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संगठन महामंत्री बैठक में हिस्सा ले रहे हैं । हालांकि संघ से जुड़े अन्य कई संगठन भी हैं, जिनमें काम कर रहे प्रचारकों को तो इस बैठक में बुलाया गया है, लेकिन कई पदाधिकारियों को यहां नहीं बुलाया गया है। उनके लिए यही कहा गया है कि वे बैठक समाप्त होने के बाद अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जाकर सरसंघचालक जी का पाथेय सभी को बताएं और भावी भारत के विकास में हमारी भूमिका क्या होगी इस बात पर फोकस करें।
इस बैठक को लेकर यह भी बताया गया कि सभी संगठन अपने कार्य के बीच के अच्छे और बुरे अनुभवों को सभी के बीच साझा करेंगे। मिल जुलकर कैसे कार्य किया जा सकता है, इस पर विचार विमर्श एवं मंथन होगा। आगामी दो दिनों तक अलग-अलग गुटों में बैठकर विविध विषयों पर चर्चा होगी । महिला कार्य, ग्राम विकास, युवाओं को संघ से जोड़ने को लेकर भी इस बैठक में सत्रों का आयोजन किया गया है। प्रत्येक बैठक लगभग समान कार्य या एक दूसरे से मिलते-जुलते कार्यों को लेकर यहां की जा रही हैं। सभी संगठन पिछले एक वर्ष में अपने किए गए कार्यों की उपलब्धियों के साथ आगामी एक वर्ष का लक्ष्य साझा करेंगे। यहां होने वाली हर छोटी बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत न रहकर क्षेत्र संघ चालक, क्षेत्र प्रचारक, क्षेत्र कार्यवाह, सह क्षेत्र कार्यवाह, प्रांत कार्यवाह, प्रांत सहकार्यवाह एवं प्रान्त प्रचारक रहेंगे जोकि इस सभी अलग होनेवाली बैठकों का संचालन करेंगे एवं सभी को अपना पाथेय प्रदान करेंगे।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र एवं प्रांत प्रचारकों को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का पाथेय पिछले दो दिनों में मिल चुका है, जिसमें कि उन्होंने इन सभी से धर्म कहा कि संस्कृति एवं समाज के सर्वांगीण विकास को पूर्ण करने का दायित्व हमारा है। इस दायित्व को पूरा करने के लिए हम सभी को मनुष्य निर्माण के कार्य में लग जाना चाहिए। समस्याओं के समाधान के लिए ऐसे सामर्थ्यवान स्वयंसेवक खड़े करने हैं, जो परिस्थिति के साथ स्वयं की भूमिका को तय करने के लिए तैयार रहें। इस दौरान डॉ. भागवत ने यह भी कहा था कि राष्ट्र विरोधी ताकतें देश के माहौल को खराब करना चाहती हैं। ऐसी राष्ट्र विरोधी साजिशों से सतर्क रहें। डटकर मुकाबला करें। युवाओं को, समाज को इन राष्ट्र विरोधी साजिशों से सतर्क करें।