कानपुर। आइआइटी कानपुर में बना मानवरहित हेलीकॉप्टर अमेरिका के 20-20 फस्र्ट रिस्पोंडर्स यूएएस (अनमैंड एयरक्राफ्ट सिस्टम) इंड्योर चैलेंज में जनवरी में जलवा बिखेरेगा। इसकी खासियत है कि ये हवा में स्थिर रहकर किसी भी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पता कर सकता है।

बाढ़, तूफान व भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में फंसे लोगों की जानकारी दे सकता है और उन तक भोजन, दवाएं व अन्य जरूरी सामान पहुंचा सकता है। ये चार से पांच किलो वजन लेकर एक घंटे तक उडऩे में सक्षम है। सबसे बड़ी विशेषता ये है कि चट्टान, पेड़ या पहाड़ इसका रास्ता नहीं रोक सकते क्योंकि सेंसर की मदद से ये रास्ता बदलने में माहिर है और पहले से फीड प्रोग्र्राम के आधार पर मंजिल तक पहुंच जाता है।

आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक ने बताया कि इस चैंपियनशिप में ऐसे मानव रहित यानों को शामिल किया गया है, जो चार किलो से ज्यादा वजन उठाने का टास्क पूरा कर सके। अमेरिका में होने वाली इस प्रतियोगिता के लिए आइआइटी छात्रों के स्टार्टअप ‘इंड्योर एयर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड ने इस मानवरहित हेलीकॉप्टर को तैयार कर डिजाइन बनाकर भेजी थी। ये किसी दुर्गम क्षेत्र में भी आसानी से उड़ान भर सकता है।

तीन देश चयनित, भारतीय डिजाइन को पुरस्कार

प्रोफेसर अभिषेक ने बताया कि ड्रोन डिजाइन के इस अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका के अलावा भारत से केवल इसी ड्रोन का डिजाइन चुना गया और 10 हजार डॉलर का पुरस्कार दिया गया। अब छात्र अपनी इस खोज को फाइनल में उतारने की तैयारी कर हैं।

अक्टूबर में ऑनलाइन प्रतियोगिता

चार अगस्त को दूसरे चरण का प्रजेंटेशन दिया जा चुका है। फाइनल से पहले दो माह बाद अक्टूबर में वीडियो कांफ्रेंसिंग से एक प्रतियोगिता और होगी। इसमें आइआइटी छात्र हेलीकॉप्टर को उड़ाकर ऑनलाइन वीडियो शेयर करेंगे। इसके बाद जनवरी में अमेरिका में इसका अंतिम राउंड होगा। इस राउंड में अमेरिका जाकर आइआइटियंस इसे उड़ाएंगे।

हेलीकॉप्टर की विशेषताएं

32 सीसी का इंजन लगा है।

01 रोटर है।

02 ब्लेड हैं।

2.50 लीटर क्षमता का पेट्रोल टैंक है।

4-5 किलो वजन उठा सकता है।

01 घंटे तक उड़ सकता।

बाढ़, तूफान व भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में फंसे लोगों की जानकारी देने और उनतक भोजन, दवाएं व जरूरी सामान पहुंचाने में सक्षम।

चट्टान, पेड़ या पहाड़ इसका रास्ता नहीं रोक सकते हैं।

सेंसर की मदद से ये रास्ता बदलने के साथ फीड प्रोग्र्राम के आधार पर मंजिल तक पहुंच सकता है।

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