– अयाेध्या के सांस्कृतिक क्षेत्र की सीमा के बाहर मुसलमानों काे मस्जिद के लिए जमीन दी जाए
– शहीद कारसेवकों की स्मृति में अयाेध्या में स्मारक बनाने पर विचार करे प्रदेश सरकार
अयाेध्या। विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चन्द्र ने कहा है कि सुप्रीमकाेर्ट के पांच जजाें की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से राममन्दिर के पक्ष में बहुत स्पष्ट निर्णय दिया है। उसने पूरे तथ्याें काे सुनते व समझते हुए अपना फैसला सुनाया है। इसके लिए सर्वाेच्च न्यायालय के उन पांचाें जजाें काे साधुवाद देते हुए उन्हाेंने कहा कि वैसे तो राममन्दिर का मामला सन 1528 से चला आ रहा था लेकिन काेर्ट में यह मामला 1885 में पहुंचा, जिसका 9 नवम्बर 2019 काे पटाक्षेप हाे गया। इस प्रकार से यह मामला लगभग 492 वर्षाें तक चला।
श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला रामघाट में बुधवार काे पत्रकाराें को संबोधित करते हुए दिनेश चन्द्र ने कहा कि अब राममन्दिर के निर्माण, सृजन व रचनात्मक कार्याें की भूमिका प्रारम्भ हो रही है। सन 1990, 91 और 92 में हमारे बहुत से भाई-बहनाें ने राम मन्दिर बनने तक विवाह न करने, चप्पल न पहनने, बाल-दाढ़ी न कटवाने, अन्न न ग्रहण करने जैसे संकल्प लिए थे। अब चूंकि रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला आ गया है ताे ऐसे लाेगाें से मेरा विशेष आग्रह कि वह लाेग अब अपने सामान्य जीवन में आकर रामलला के कार्य में सक्रिय रूप से जुड़ जाएं। विहिप के कार्यकर्ताओं के पास ऐसे लाेगाें की लम्बी लिस्ट है। कार्यकर्ता जिले-जिले में जाकर ऐसे लोगों से मिलकर उन्हें सम्मान देते हुए सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित करें।
अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक ने कहा कि हम सबके बीच से कितनी पीढ़ियां चली गई लेकिन उनका राम मन्दिर निर्माण का सपना अधूरा रह गया। स्व. अशाेक सिंहल, साकेतवासी महन्त परमहंस रामचन्द्र दास, स्व. महन्त अवैद्यनाथ समेत पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक कितने लाेग राममन्दिर निर्माण का अधूरा सपना लिए चले गए लेकिन मन्दिर निर्माण का मार्ग अब जाकर कहीं प्रशस्त हुआ। इससे आज उन लोगों की आत्मा जहां कहीं भी हाेंगी, वह प्रसन्न हाेगी। लाखों कारसेवक रामजन्मभूमि के लिए संघर्ष करते हुए शहीद हाे गए। उनकी भी मन्दिर के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ से आग्रह किया कि वह शहीद कारसेवकों की स्मृति में अयाेध्या में एक स्मारक बनाने पर विचार करें, जिससे आने वाला समाज उन कारसेवकों काे याद रख सके।
उन्हाेंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सीधी-सीधी भूमि रामलला काे दी है। इसलिए उनके मन्दिर निर्माण की दृष्टि से न्यास कार्यशाला में रखा राम मन्दिर का मॉडल बहुत उपयुक्त है। इस मॉडल का प्रारूप देश-दुनिया में पहुंच गया है। रामलला के प्रति लाेगाें की आस्था, श्रद्धा, विश्वास और भावना काे देखते हुए इसी मॉडल के प्रारूप पर ही भव्य मन्दिर का निर्माण होना चाहिए। न्यास कार्यशाला में राम मन्दिर के लिए अब तक एक मंजिल अर्थात 60 प्रतिशत पत्थर तराशकर तैयार किये जा चुके हैं। साथ ही गांव-गांव से आयी हुई रामशिलाएं भी कार्यशाला में रखी हैं।
विहिप नेता ने कहा कि रामजन्मभूमि के लिए ट्रस्ट कैसा हाेगा, इसमें रामजन्मभूमि न्यास व विहिप काे शामिल किया जायेगा या नहीं, यह आने वाला समय बतायेगा लेकिन उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि इसी मॉडल के आधार पर राम मन्दिर बने व न्यास कार्यशाला में तराशकर रखे गए पत्थरों का ही उसमें उपयाेग हाे।यह हमारी मांग नही, हमारी जिद है। उन्होंने यह भी कहा कि रामजन्मभूमि न्यास के पास मन्दिर का मास्टर प्लान है। भारत सरकार काे चाहिए कि वह मास्टर प्लान न्यास से लेकर उसी डिजाइन पर राम मंदिर का निर्माण कराये। ट्रस्ट में किसी को भी शामिल किया जाए व मन्दिर बनवाए, उस पर विहिप व न्यास काे काेई आपत्ति नहीं है। हमारा मूल विषय है कि रामलला का भव्य मन्दिर बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम काेर्ट ने मस्जिद के लिए मुस्लिम समाज को 5 एकड़ जमीन देने के लिए कहा है, इस पर हम सभी को किसी भी प्रकार आपत्ति नहीं है लेकिन अयाेध्या के सांस्कृतिक क्षेत्र की सीमा के बाहर ही मुसलमानों काे मस्जिद के लिए जमीन दी जाए। साथ ही बाबर के नाम पर देश में कोई भी मस्जिद न बने। उन्होंने कहा कि विहिप की भूमिका राम मन्दिर निर्माण तक अवश्य रहेगी। विहिप के पास राम मन्दिर के लिए एकत्रित किए गए चंदाें के एक-एक पैसे का हिसाब है। उन्हाेंने कहा कि हमारी केन्द्र व प्रदेश सरकार से मांग है कि अयाेध्या काे सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विश्व में पहचान दिलाने के लिए यहां एक शाेध केन्द्र बनाया जाए, ताकि यहां पर आने वाले लोगों काे अयाेध्या, रामायण समेत अन्य की सम्पूर्ण जानकारी मिल सके।