नई दिल्ली। माथे पर त्रिपुंड, भगवा बाना और मंदिर में पूजा करते हुए वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया है। यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहे वसीम रिजवी का नया नाम जितेंद्र नारायण त्यागी हो गया है। उन्होंने गाजियाबाद के डासना मंदिर में महंत यति नरसिंहानंद के समक्ष पूरे विधि-विधान से हिंदू धर्म अपनाया। कुछ दिन पहले ही उन्होंने ऐलान किया था कि वह सनातन धर्म अपनाएंगे।
मंदिर में महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने वसीम रिजवी का भगवा शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। इसके बाद तय हुआ कि वसीम रिजवी त्यागी बिरादरी से जुड़ेंगे। वसीम रिजवी का नया नामकरण हुआ। नामकरण के बाद मंदिर में अनुष्ठानों का दौर हुआ।
सनातन धर्म स्वीकारने के बाद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने कहा, ‘धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है। जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं। सनातम धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं किसी और धर्म में नहीं। इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते हैं।’ हर जुमे की नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, इससे हमको खुद शर्म आती है.”
हिंदू रीति रिवाज से जताई थी अंतिम संस्कार की इच्छा
वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत जारी की थी। इसमें उन्होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाने के बजाय हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए। इतना ही उन्होंने यह भी कहा था कि यति नरसिंहानंद उनकी चिता को अग्नि दे।
हिंदू महासभा ने क्या कहा
अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने वसीम के हिन्दु बनने पर कहा कि पूर्व मुस्लिम धर्मगुरु वसीम रिजवी साहब का हिंदू सनातन धर्म स्वीकार करना स्वागत योग्य, अखिल भारत हिंदू महासभा, संत महासभा उनका स्वागत करती है, वसीम रिजवी साहब अब हमारे हिंदू सनातन धर्म के अंग है कोई भी कट्टरपंथी उनके खिलाफ फतवा जारी करने के लिए दुसाहस ना करें ,केंद्र ,प्रदेश सरकार उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराए.