New Delhi. ऐसा लग रहा था कि हम मृत्युशय्या पर थे… ये बात सुखविंदर सिंह कही हैं, जो सूडान में फंसे थे और वहां से निकलकर सऊदी अरब के रास्ते नई दिल्ली पहुंचे हैं। 40 साल के सुखविंदर पेशे से इंजीनियर हैं और उन 360 भारतीयों में से एक हैं, जो ऑपरेशन कावेरी के तहत पहले बैच में आए हैं। सुखविंदर हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले हैं, वे सूडान की मौजूदा स्थिति को याद करके कहते हैं कि वे अभी भी बहुत डरे हुए हैं। उन्होंने बताया, हम एक बंद कमरे में रह रहे थे, यह ऐसा था कि हम मृत्युशय्या पर हों।

इस तरह कुशीनगर के रहने वाले छोटू सूडान में एक फैक्ट्री में काम करते थे, वे अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि भारत लौट आए हैं। वे कहते हैं, मैं मरकर वापस आ गया। छोटू कहते हैं, कभी सूडान नहीं जाऊंगा। मैं देश में रहकर कुछ भी करूंगा, लेकिन अब सूडान कभी नहीं जाऊंगा। पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले तसमेर सिंह भी उन लोगों में शामिल हैं, जो सूडान की भयावह स्थिति से लौटे हैं। वे कहते हैं, हम एक लाश की तरह थे, एक छोटे कमरे में बिना बिजली-पानी के रह रहे थे। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम अपने जीवन में ऐसी स्थिति का सामना कर सकते हैं, लेकिन भगवान का शुक्र है कि हम जीवित लौट आए हैं।

सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के कारण हजारों भारतीय भी वहां फंसे है। भारत सरकार इन्हें निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी चला रही है। ऑपरेशन कावेरी के तहत अब तक 670 भारतीय नागरिकों को सूडान से निकाल लिया गया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सूडान से रेस्क्यू किए गए लोगों के दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद निकाले गए उनकी तस्वीरें शेयर कीं। उन्होंने लिखा, भारत अपनों की वापसी का स्वागत करता है। ऑपरेशन कावेरी के तहत पहली उड़ान में 360 भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया गया।

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन सऊदी अरब से निकासी मिशन की देखरेख कर रहे हैं।
ऑपरेशन कावेरी के लिए वायुसेना और नौसेना की मदद ली जा रही है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वायुसेना के दो ट्रांसपोर्ट विमान सी-130जे सऊदी अरब के जेद्दाह में स्टैंडबाय पर हैं। इसतरह नौसेना का जहाज आईएनएस सुमेधा तब पोर्ट सूडान भी पहुंच गया है। इसी जहाज के द्वारा पहले भारतीयों को जेद्दाह लाया जा रहा है। जहां से लोग सी-130जे के जरिए नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच रहे हैं। वहीं, सूडान के अलग अलग हिस्सों से पोर्ट सूडान तक पहुंचने के लिए बसों का सहारा लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि गृहयुद्ध के वक्त करीब 4000 भारतीय सूडान में फंसे थे। इसमें से अब तक 1100 लोगों को सूडान से निकाला जा चुका है। जबकि तीन बैच में करीब 670 नागरिक भारत पहुंच चुके हैं।

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