नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट के विस्तार की अटकलें तेज है। इस बीच चर्चा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा अपनी सहयोगी पार्टियों को भी अहमियत दे सकती है। ऐसे में अब सबकी नज़र लोजपा की ओर भी टिकी हुई है।
दरअसल, राम विलास पासवान के निधन के बाद उनके पुत्र चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस के बीच विरासत पाने की जंग जारी है। अब मोदी सरकार दोनों गुट में से किसे तवज्जो देती है यह देखना दिलचस्प होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा महासचिव (संगठन) बी एल संतोष के साथ मैराथन बैठकें की हैं, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार के विवरण को अंतिम रूप देने के रूप में देखा जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल की “मजबूत संभावना” के बीच शाह और संतोष ने रविवार को कई घंटों तक मोदी के साथ उनके आवास पर बातचीत की। कुछ सूत्रों ने कहा कि शपथ ग्रहण बुधवार को हो सकता है। हालांकि इस पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया।
यदि प्रधान मंत्री कैबिनेट विस्तार करते हैं तो वह उनकी दूसरी पारी के लिए मई 2019 में कार्यभार संभालने के बाद पहली बार उनके मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा।
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान का पिछले साल निधन हो गया था और सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि उनके भाई पशुपति कुमार पारस विस्तार का हिस्सा होंगे या नहीं।
पारस पार्टी के नियंत्रण के लिए पासवान के बेटे चिराग पासवान के साथ कटुतापूर्ण लड़ाई में लगे हुए हैं और लोकसभा में लोजपा नेता के रूप में पहचाने जाने के बाद छह में से पांच सांसदों ने उन्हें अपना समर्थन दिया।
वहीं चिराग पासवान ने भी अपने पिता के जन्मदिन के दिन आशीर्वाद यात्रा निकालकर अपनी ताकत दिखाई।
हालांकि चिराग और पारस में से किसी एक को चुनना भाजपा के लिए बेहद कठिन है। यदि वह चिराग को अहमियत देती है तब नीतीश कुमार के साथ नाराजगी को बढ़ावा देगी। जबकि पारस को जगह देने से चिराग के साथ मित्रता पर विराम लग जाएगा। बहरहाल माना जा रहा है कैबिनेट विस्तार को अंतिम रूप देने के लिए पार्टी माथापच्ची कर रही है।