नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नए नागरिकता कानून के बारे में कुछ देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि यह एक मौका है जब भारत को पता लगा है कि कौन उसका दोस्त और सहयोगी है।

जयशंकर ने शनिवार को एक मीडिया समूह द्वारा आयोजित व्यापार सम्मेलन में नागरिकता कानून के बारे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) की भूमिका की तीखी आलोचना की। जब उनसे यह पूछा गया कि नागरिकता कानून के कारण क्या भारत अपने दोस्त खो रहा है। इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि यह लोगों को परख ने का मौका है। भारत को पता लग रहा है कि कौन हमारा सच्चा दोस्त है।

उल्लेखनीय है कि यूएनएचआरसी ने नागरिकता कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष बनने का आग्रह किया है। इस कार्रवाई का विदेश मंत्रालय पहले ही विरोध कर चुका है।

जयशंकर ने कहा कि यूएनएचआरसी पहले भी अनेक मामलों में गलत साबित हुआ है। इस संस्था ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बारे में भी गलत रवैया अपना था। विदेश मंत्री ने कहा कि इस संस्था ने सीमापार से आतंकवाद के खतरे को नजरअंदाज कर दिया था। संस्था ने ऐसा रवैया अपनाया था मानो सीमापर आतंकवाद का कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं है।

विदेशमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं नागरिकता कानून के बारे में दुनिया के अनेक देशों को वास्तविक स्थिति से परिचित कराया है। हाल में ब्रसेल्स में युरोपीय संघ के 27 देशों के विदेशमंत्रियों को वास्तविक स्थिति की जानकारी दी गई है।

उन्होंने कहा कि हर देश की सरकार और संसद को नागरिकता के संबंध में आधार तय करने का अधिकार है। नए कानून के जरिए बड़ी संख्या में नागरिकता विहीन लोगों को नागरिकता देने के लिए कदम उठाए गए हैं। नागरिकता देने के संबंध में हर देश परिस्थितियों का मुल्यांकन करने के आधार पर फैसला करता है।

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