नई दिल्ली। भारतीय कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना रोधी वैक्सीन जायकोव-डी जल्दी ही टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल होगी। तीन खुराक वाली इस वैक्सीन को पिछले महीने ही मंजूरी दी गई थी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने गुरुवार को बताया कि जल्दी ही इसे टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी कीमत पर निर्माताओं से बात चल रही है। जल्दी ही कीमत तय हो जाएगी।
बता दें कि इस वैक्सीन को अगस्त में दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 12-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए पहले कोरोना टीके के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी। को-वैक्सीन की तरह तीन डोज वाली वैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी है। इसके साथ ही यह बिना सुई वाली वैक्सीन है, जिससे किसी तरह का दर्द नहीं होगा।
भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली जायकोव-डी वैक्सीन को जायडस कैडिला और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने मिलकर बनाया है। यह 12 से 18 साल के बच्चों के लिए इमरजेंसी यूज की मंजूरी पाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन है। इसको वयस्कों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले भारत में कोवीशील्ड, कोवैक्सीन, स्पूतनिक-वी, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है।
ट्रायल में जायकोव-डी वैक्सीन वायरस के खिलाफ 66.6 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है और कोरोना वायरस के खतरनाक डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी असरदार है।
सुई रहित जायकोव-डी वैक्सीन लगवाते हुए किसी तरह का दर्द नहीं होगा। यह ‘प्लग एंड प्ले’ तकनीक पर कार्य करती है। यह तकनीक नीडल-फ्री सिस्टम है, जिसके कारण एक मशीन(एप्लीकेटर) में दवा भरकर उसे आपकी बाजू पर लगा दिया जाएगा और फिर मशीन पर मौजूद प्ले बटन को दबा दिया जाएगा। इसके बाद दवा बाजू के माध्यम में आपके शरीर के भीतर प्रवेश करेगी। एक एप्लीकेटर की कीमत 30 हजार रुपये है जिससे 20 हजार लोगों को टीका लगाया जा सकता है।