पाकुड़। मुख्य सड़क से महज ढाई किलोमीटर दूर अवस्थित लिट्टीपाड़ा प्रखंड का पहाड़िया गांव एस्काजो आज भी पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव में तकरीबन पचास पहाड़िया परिवार निवास करते हैं। लेकिन गांव तक जाने के लिए ढंग की एक सड़क तक नहीं है।लोग कच्ची व पथरीली पगडंडी के सहारे आवागमन करते हैं। ग्रामीण जबरा पहाड़िया ने बताया कि इस कच्ची व पथरीली सड़क  के चलते उन्हें खासकर बरसात के दिनों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।पहाड़ों पर बसे इस गांव में न तो चापानल है और न कुआं। बकौल शिवा पहाड़िया हमलोग आज भी पहाड़ की तलहटी में कोई एक किलोमीटर दूर बने प्राकृतिक झरने के पानी पर निर्भर हैं।वह भी गर्मी के दिनों में अक्सर सूख जाता है तो हमारी जिंदगी और भी पहाड़ सी हो जाती है।स्कूल व अस्पताल की तो बात ही करना फिजूल है, तो सीता पहाड़िया ने बताया कि गांव में लंबे अरसे से विकास व रोजगार के मद्देनजर कोई काम ही नहीं किया गया है। विकास के काम भी होते तो हमें कुछ न कुछ रोजगार भी जरूर मिलता।ग्रामीण अर्थोर्पाजन के लिए खेती व जंगल पर निर्भर हैं। जबकि मुखिया मलजा मालतो ने बताया कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान तलहटी बहने वाले झरने को बंधवा कर झरना कूप बनवाया है। गांव को ढाई किलोमीटर दूर स्थित मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए सड़क निर्माण के लिए प्रस्ताव पारित हो गया है।राशि आवंटन के लिए बीडीओ साहब से बातें हो चुकी हैं।
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