रियासत हसन
बड़कागांव। हमेशा कई बार ऐसी कहानियां सुनने को मिलती है कि जब माता-पिता बुजुर्ग हो जाते हैं तो औलाद को माता-पिता बोझ सा लगने लगता है और उनकी देखरेख से इनकार करने लगते हैं। कई बार अपने स्वार्थ के लिए वे अपने माता-पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़ आते हैं परंतु कई औलाद श्रवण के जैसे आज भी हैं जो अपने माता-पिता से जान से भी ज्यादा प्रेम करते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण बड़कागांव मध्य पंचायत में देखने को मिला।
बड़कागांव मध्य पंचायत स्थिति डेली मार्केट बाबा मोहल्ला निवासी पशु पालक दूध विक्रेता बालेश्वर राम ने शनिवार को लॉक डाउन की परवाह किए बिना अपनी बीमार माता सुगनी की जान बचाने को लेकर दवा के लिए साइकिल से ही बड़कागांव से रांची करीबन 210 किलोमीटर दूरी तय कर ली और माता-पिता की सेवा का एक मिसाल पेश किया।
स्वदेश टूडे के खास मुलाकात में बालेश्वर राम ने बताया कि मेरी मां 15 वर्षों से पीठ की गंभीर बीमारी एवं छाती दर्द परेशान हैं। बीते 15 वर्षों से रांची से दवा चल रही है। लॉक डाउन हो जाने के कारण मां की दवाइयां समाप्त हो गई थी और वह बेड से उठ नहीं पा रही थी। जिसके कारण मजबूरन मुझे साइकल से रांची जाना पड़ा। श्री राम सुबह 5 बजे घर से निकला और 11 बजे रांची पहुंचा। दवा खरीदने के बाद वापस 8 बजे रात को बड़कागांव घर लौटा।
बालेश्वर ने लोगों से कहा कि मां बाप से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं होता है। हमें अपनी मां पिता का सम्मान करना चाहिए और उनके सुख दुख में हाथ बटाना चाहिए। दुनिया में इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं है। जो अपने माता-पिता की सेवा करता है उसे चारों धाम का पुण्य प्राप्त होता है।