43 मामलों में 25 के खिलाफ प्राथमिकी

रांची। जीएसटी लागू होने के बाद से कुछ फर्म फेक ट्रांजेक्शन कर टैक्स की चोरी कर रहे है। झारखंड में व्यवसाय करने वालों के लिए निबंधन को सरलीकृत करते हुए एक ही दिन में निबंधन उपलब्ध कराया जा रहा है। कुछ कंपनियां इसका दुरूपयोग कर रहे है और निबंधन कराने के बाद इन फर्जी कंपनियों द्वारा वस्तु का क्रय-विक्रय किये बगैर फेक ट्रांजेक्शन दिखाकर टैक्स की चोरी की रही है। जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक करीब 600 करोड़ रुपये का फेक ट्रांजेक्शन दिखाकर टैक्स चोरी का आकलन किया गया है।

राज्य के वाणिज्य कर विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर यह गोरखधंधा चल रहा है। मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कोलकाता और गुजरात से इन फेक फर्मा का संचालन कर टैक्स की चोरी की जा रही है। इस तरह के मामलों की निगरानी के लिए राज्य में एक इंटेलीजेंस सेल का गठन किया गया है। प्रारंभिक छानबीन में यह बात सामने आयी है कि इन फर्जी कंपनियों द्वारा ओड़िशा समेत कुछ अन्य राज्यों से फेक ट्रांजेक्शन दिखाकर टैक्स की चोरी की गयी। अब तक राज्य में 43 ऐसे मामले सामने आ चुके हैएजिसमें 25 मामलों में प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है और जिन कंपनियों ने इस तरह से फर्जीवाड़ा कर टैक्स छूट का लाभ उठाया है, ऐसे 10 से 15 लोगों को ओड़िशा से पकड़ कर लाया गया है और उनसे रिकवरी की कार्रवाई भी चल रही है।

वाणिज्य कर विभाग के सचिव ने बताया कि संवेदनशील वस्तुओं के मामले में पांच दिनों के अंदर और असंवेदनशील वस्तुओं में एक दिन में निबंधन प्रमाण पत्र निर्गत किया जा रहा हैए लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद कुछ फर्म इसका गलत फायदा उठा रही हैए ऐसे मामले में झारखंड को कितना नुकसान हुआ है,इसका आकलन तो मुश्किल है, क्योंकि फर्मा का अंतिम भुगतान उन राज्यों करना पड़ता है, जहां अंतिम रूप से किसी वस्तु की खपत होती है। लेकिन इन मामलों से साफ होता है कि झारखंड समेत अन्य राज्यों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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