गिरिडीह।  विद्यालयों को उपलब्ध कराई गई सभी तरह की राशि को सरकार ने वापस ले लिया है। विद्यालयों के बैंक खाता का बैलेंस शून्य हो गया है।

वहीं इस बीच मध्याह्न भोजन के लिए चावल की आपूर्ति की जाने लगी है। जिसमें शिक्षकों को गोदाम से चावल का उठाव कर विद्यालय ले जाना पड़ रहा है।

चावल के परिवहन में होने वाला खर्च शिक्षकों को अपनी जेब से करना पड़ रहा है। शिक्षक खर्च का वहन स्वेच्छा से नहीं, बल्कि विभाग की कार्रवाई से बचने के लिए कर रहे हैं।

विद्यालयों के पास फंड नहीं रहने के कारण शिक्षकों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक ओर सरकार ने सभी तरह की राशि वापस ले ली है, वहीं दूसरी ओर विभाग ने चावल का उठाव और वितरण करने का फरमान भी जारी कर दिया है।

इस निर्देश का पालन नहीं करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी हो सकती है। मरता क्या न करता की तर्ज पर शिक्षक कार्रवाई से बचने के लिए शिक्षक प्रखंडों से चावल का उठाव कर अपने-अपने विद्यालय तो ले जा रहे हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें वेतन का पैसा खर्च करना पड़ रहा है। इससे उनके घर का बजट बिगड़ रहा है। इससे अधिक परेशानी अल्प मानदेय में काम करने वाले पारा शिक्षकों को हो रही है।

 

अब तक नहीं मिला उठाव का पैसा

पारा शिक्षिका गीता राज ने कहा कि चावल के उठाव में होने वाले खर्च का भुगतान विभाग की ओर से अब तक कभी नहीं किया गया है। सरकार ने स्कूलों से सारा पैसा वापस ले लिया है। एक तो पारा शिक्षकों को काफी कम मानदेय मिलता है। इससे उन्हें घर-परिवार चलाने में भी परेशानी होती है। ऐसे में पारा शिक्षक चावल उठाव में होने वाले खर्च का वहन कैसे करेंगे।

विभाग को स्कूलों तक पहुंचाना है चावल

शिक्षकों का कहना है कि मध्याह्न भोजन का चावल स्कूलों तक एमडीएम कोषांग को पहुंचाना है, ताकि इससे शिक्षकों को कोई परेशानी न हो, लेकिन शिक्षकों पर प्रखंड से चावल का उठाव कर अपने-अपने स्कूल ले जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जो गलत है। झारखंड स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार मिश्रा ने कहा कि पूर्व की तरह डोर स्टेप डीलिवरी के माध्यम से स्कूलों तक चावल पहुंचाया जाए या फिर डीलरों के माध्यम से इसका वितरण कराया जाए।

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