आईडी के बगैर किसान पैक्स में नहीं बेच सकते धान

कटकमसांडी (हजारीबाग)।  इन दिनों अंचल से जीएम लैंड की आईडी पर रोक लग जाने से क्षेत्र के किसान अपने धान औने पौने दामों पर बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं। बता दें कि अंचल से आईडी बनने के बाद ही किसानों का नाम पैक्स में रजिस्टर्ड होना है। इसके बाद किसान पैक्स में निर्धारित दरों पर धान बेच सकते हैं। मगर वर्षों से जीएम लैंड पर 2015-16 तक रसीद कटाने व काबिज व दखलकार होने के बावजूद अंचल कार्यालय द्वारा कृषकों के आईडी पर रोक लगा दी गई है। नतीजतन जीएम लैंड का वैसे जोतकारों के धान अंचल द्वारा निर्गत आईडी के बगैर पैक्स में खरीदेगी नहीं हो सकती है। बता दें कि सरकारी निर्धारित दर के मुताबिक पैक्सों में करीब 20 रूपए प्रति किग्रा. धान क्रय की जा रही है। मगर जीएम लैंड के जोतकारों को पैक्स में रजिस्ट्रेशन नहीं होने से बिचौलियों के हाथों प्रति किग्रा. धान 10-12 सौ रूपए बेचना पड़ रहा है। लिहाजा, किसानों को प्रति क्विंटल धान बेचने पर आठ सौ रूपए का नुक़सान उठाना पड़ रहा है।

जीएम लैंड के जोतकारों का कहना है कि वर्षों से जीएम लैंड को बंदोबस्त कर वर्ष 2015-16 तक रसीद भी निर्गत है। मालुम हो कि वर्ष 2015 के बाद राज्य सरकार द्वारा जीएम बंदोबस्त जमीन के रसीद निर्गत पर रोक लगा दी गई है, जिसका खामियाजा फिलहाल किसानों को भुगतना पड़ रहा है। इस बाबत कटकमसांडी पैक्स अध्यक्ष राजकिशोर सिंह का कहना है कि अंचल से आईडी निर्गत नहीं होने से किसानों का बड़ा तबका आर्थिक रूप से शोषित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के 40 फीसदी किसान साठ सत्तर वर्षो से जीएम लैंड का सेटलमेंट व अंचल के पंजी-टू में नाम दर्ज कराकर खेती बाड़ी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस बाबत अंचल अधिकारी अनिल कुमार से बात की तो बताया गया कि जीएम लैंड के आईडी बनाने में आनलाइन सिस्टम बाधक है। इसलिए किसान अधिकृत जीएम लैंड का आईडी निर्गत नहीं हो सकती। बहरहाल, फिलहाल किसानों द्वारा पैक्स में धान न बेचकर बिचौलियों के हाथों धान बेचकर भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है।

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