गिरिडीह। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 इतिहास की गलतियों को सुधारने वाला एक महत्वपूर्ण कानून है। इस कानून के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद पाकिस्तान बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से पीड़ित अल्पसंख्यकों को बड़ी राहत मिलेगी। उक्त बातें शनिवार को सांसद अन्नपूर्णा देवी ने पर्यटक स्थल खंडोली में प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि वर्षों से इन देशों में रह रहे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों के साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न होता रहा था इसलिए इन धर्म के अनुयाई समय-समय पर विस्थापित होकर भारत आते रहे हैं।
तकनीकी तौर पर उनके पास भारत की नागरिकता हासिल करने का कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं होता है। इसलिए एक भारतीय नागरिक को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं यह कानून ऐसे ही प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने से संबंधित है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां इस अधिनियम को लेकर देश में दुष्प्रचार कर रही है यह देश की एकता और अखंडता पर प्रहार करने जैसा काम कर रही है, जो व्यवहारिक नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को सांसद और संविधान पर ही भरोसा नहीं रहा। इस अधिनियम से साफ है कि भारत में रह रहे मुस्लिमों के मौलिक अधिकार पर इस कानून का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा । सांसद ने कहा कि यह उल्लेख करना आवश्यक है कि 26 सितंबर 1947 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रार्थना सभा में खुले तौर पर घोषणा की थी कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख हर नजरिए से भारत आ सकते हैं। अगर यहां निवास नहीं करना चाहते हैं उसी स्थिति में उन्हें नौकरी देना और उनके जीवन को सामान्य बनाना भारत सरकार का पहला कर्तव्य है।