रांची । देश के महान समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि जामताड़ा है। जामताड़ा ने कभी साइबर अपराध के लिए पूरे देश में सुर्खियां बटोरी। अब पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि जामताड़ा का नारायणपुर, करमाटांड प्रखंड की पहचान बदलने की दिशा में राज्य सरकार ने कार्य करना आरंभ कर दिया है। यहां के लोगों ने भी इस बदलाव को स्वीकार किया। जामताड़ा के बच्चे और युवा अब डिस्कवरी ऑफ इंडिया, इंडियन इकॉनमी, इंडिया आफ्टर गांधी जैसी पुस्तकें अपने गांव में ही पढ़कर पंडित जी की विचारधारा के अनुरूप खुद को अग्रसर करने के प्रयास में जुट गये हैं। ऐसा होगा सामुदायिक पुस्तकालय के जरिये। जी हां, राज्य सरकार ने लालचंदडीह, महतोडीह एवं करमाटांड प्रखंड के सियाटांड़, नाला प्रखंड के पंचायत भवन, फतेहपुर पंचायत एवं कुण्डहित प्रखंड परिसर समेत अन्य स्थानों में 33 सामुदायिक पुस्तकालय का शुभारंभ कर दिया है, जो युवाओं और बच्चों के शैक्षणिक विकास और सकारात्मक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
परीक्षा की तैयारी में सहायक बना पुस्तकालय, शिक्षक की प्रतिनियुक्ति भी
कोरोना संक्रमण काल में दसवीं और 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों की पढाई बाधित हुई। लेकिन सामुदायिक पुस्तकालय ऐसे छात्रों के लिये वरदान साबित हुआ। इनके लिये राज्य सरकार गणित और विज्ञान के लिये क्लास संचालित करवा रही है। प्रत्येक रविवार को शिक्षक छात्रों के बीच पहुंच कर विभिन्न विषयों की विस्तार से जानकारी दे रहें हैं, ताकि होने वाली परीक्षा में छात्रों को परेशानी का सामना ना करना पड़े। इन पुस्तकालयों का सर्वाधिक उपयोग परीक्षा की तैयारी हेतु छात्र कर रहें हैं। जामताड़ा में संचालित सामुदायिक पुस्तकालय भवनों के पोषक क्षेत्र में आने वाले पुस्तकालय में प्रति पुस्तकालय दो-दो शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है।
सभी पंचायत होंगे पुस्तकालय से आच्छादित
राज्य सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल 33 सामुदायिक पुस्तकालयों का शुभारम्भ सीएसआर एवं सामुदायिक सहयोग से पुराने एवं बेकार जर्जर भवनों का जीर्णोद्धार करके किया है। अगले वर्ष तक सभी 118 पंचायतों में सामुदायिक पुस्तकालय शुरू करने की कार्य योजना पर सरकार कार्य कर रही है। इन पुस्तकालयों का संचालन आम सभा के द्वारा गठित पुस्तकालय प्रबंधन समिति के माध्यम से किया जा रहा है। सभी पुस्तकालयों में पुस्तकों की उपलब्धता एवं अन्य मूलभूत व्यवस्थाएं सीएसआर फंड से उपलब्ध कराया जा रहा है।
सरकार का उदेश्य स्पष्ट है। पुस्तकालय में बच्चे या व्यक्ति अपनी रुचि, योग्यता तथा आवश्यकता के अनुरूप पुस्तकें पढ़कर अपने ज्ञान के स्तर को बढायें। पुस्तकालय संस्कृति सामुदायिक भागीदारी के साथ विकसित हो। साथ ही, पुस्तकालय को व्यक्ति विशेष, धर्म विशेष, राजनीति से बिल्कुल अलग रखना है, ताकि यहां के युवा राज्य के विकास और उन्नति में अपनी भागीदारी निभा अपने जामताड़ा को साइबर क्राइम के कलंक से छुटकारा दिला सकें।
क्या कहते हैं उपायुक्त
जामताड़ा के उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज ने कहा कि बच्चों के शैक्षणिक विकास में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पुस्तकालय में पुस्तकें पाठ्यक्रम से अलग हटकर होती हैं। सामुदायिक पुस्तकालय ऐसा स्थान है, जहां पुस्तकों के उपयोग का सुनियोजित विधान होता है। कोई भी अपनी रूचि के अनुरूप इसका सदस्य बन सकता है तथा वहां की पुस्तकों का उपयोग कर सकता है। इस तरह के पुस्तकालयों के उपयोग से समुदाय में पढ़ने-पढ़ाने और सीखने-सीखाने का एक माहौल बनेगा।