इचाक। समाजसेवी सह पूर्व बरकठा विधानसभा प्रत्याशी रामचन्द्र प्रसाद ने इचाक क्षेत्र में चक्रवात से ग़रीबों के घर, मनरेगा के तहत चल रहे कुएँ कार्य के नुक़सान को लेकर मुआवजा के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं हज़ारीबाग़ उपायुक्त को पत्र लिखकर माँग किया कि लगातार तीन दिनों तक बारिश हुई है जिससे इचाक के लगभग सभी गाँवों में मिट्टी के घर से बने ग़रीबों के घरों को काफ़ी नुक़सान हुआ है।

कई घरों को नुक़सान इतना ज़्यादा हुआ है की उसमें अब गरीबों को रहने की भी जगह नहीं है। गरीब रहने को बेबस है। कई गरीब दूसरे के घरों में शरण लेने को विवश है। कई लोगों को पंचायत भवन में रहना पड रहा है। कई ऐसे गरीब परिवार जिनको प्रधानमंत्री आवास योजना या किसी भी योजना के तहत  आवास नहीं मिला है इसलिए यह बहुत ही दुर्भाग्य और प्रशासन एवं सरकार के लिए शर्म की बात है की आज इक्कीसवीं सदी में भी लोग मिट्टी के घरों में रहने को विवश है। जिसके कारण ऐसी घटनायें होती रहती है।

इसलिए उन्होंने सरकार एवं स्थानीय प्रशासन से सभी मिट्टी के घरों को पक्के घरों में बदलने की माँग भी किया  जिससे की फिर कभी इस तरह की आपदा में ग़रीबों को जान माल का नुक़सान ना हो। अभी केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल एवं झारखंड सरकार को तत्काल चक्रवात से हुवे जान माल  के नुक़सान से निपटने के लिए सरकार ने  500 करोड़ दिए है। इसलिए उन्होंने कहा कि इस चक्रवात में जिनके भी घरों को नुक़सान हुआ है उन्हें तत्काल पक्का घर दिया जाए और मनरेगा के तहत जो सैकड़ों कुएँ का काम चल रहा है उनका जो भी नुक़सान हुआ है उनको भी सरकार आपदा फंड से मुवावजा दे।

इचाक के कई सौ एकड़ फसल भी बर्बाद हो गए। जिनमे मुख्य रूप से धनिया और जेठुआ के फसल है। इससे किसानों को लाखों रूपये का नुक़सान हुआ है। इसलिए उन्होंने सरकार एवं स्थानीय प्रशासन से किसानों के मुवावजा की भी माँग की हैं। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो जनता सरकार और स्थानीय प्रशासन को कभी माफ़ नहीं करेगी।

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