खूँटी (स्वदेश टुडे)। दीवाली को लेकर बाजार सज गए। इस बार पिछले वर्ष से अच्छे बाजार की उम्मीद पर तैयारी तो की गई है , पर बीच में मौसम का मार और पूँजी और रखने की जगह का अभाव के कारण कुम्हार दीया खिलौना और पूजा का मिट्टी पात्र सीमित ही बना पाए। कुछ एक कुम्हार हैं जिनके पास रखने का स्थान है वैसे कुम्हर दिवाली के सामान बनाकर बाजार में उतार रहे हैं। खूंटी में नगर पंचायत क्षेत्र के दुकान के अलावे क्षेत्र के विभिन्न बाजारों में भी दीया ले जाकर बाजारों में बिका करते हैं। खूंटी के दीए की मांग जिले भर में ही नहीं बल्कि रांची जिले के विभिन्न जगहों में भी होती है। राँची के दुकानदार खूंटी से दीए और मिट्टी के बर्तन पूजा का सामान को थोक भाव में खरीद कर रांची के कई स्थानों में ले जाकर बेचते हैं।
लेकिन कई कुम्हारों की बदहाली और व्यवस्था का अभाव के कारण अपने बाजारों को सीमित करना मजबूरी हो जाता है। कुम्हारों का बाजार वर्ष भर में 6 महीना ही रहता है जो कि विशेषकर पूजा त्यौहारों आदि में इनके सामानों की मांग रहती है। क्योंकि पहले खपड़े के घर हुआ करते थे। जिसका छत के जगह खपड़ा लगा हुआ रहता था। अब लगभग घर या तो एस्बेस्टस का या नहीं तो ढलाई छत का घर होता है। जिसके कारण भी कुम्हारों की आय सीमित होते जा रही है। कुम्हार ही हैं जो अपनी मेहनत से सभी के घरों में खुशियाँ और जरुरत पूरा करने का काम करते हैं।

मिट्टी के दीए और सामान बनाने के लिए कुम्हार दूसरे की खेत से मिट्टी खरीदकर गाड़ी भाड़े में करते लाते हैं। फिर पूरी लगन और मेहनत से दीए और अन्य सामान बनाते हैं। यहाँ तक कि काफी महंगे जलावन लकड़ी भी खरीदना पड़ता है। तब जाकर उनके मेहनत रंग लाता है और दीपावली में मिट्टी के दीयों और सामानों की रंगत और संगत चढ़ती है।
पिपराटोली के कुम्हार विशेश्वर प्रजापति ने बताया कि उनके बनाए सामान राँची के अनेक दुकानदार उनके बनाए दीये और पूजा पात्र बेचने के लिए ले जाते हैं।
लेकिन कई अन्य गरीब कुम्हारों ने बताया कि सीमित सामान ही बनाकर खूँटी और आसपास के छोटे-छोटे बाजारों में ले जाकर बेचते हैं।

 

दीवाली की बाजार में दीये 1.20रु प्रति तो करंज तेल 170 रु ली. गरीब मनाए दिवाली कैसे

दीपावली नजदीक आते ही खूँटी का दीपावली बाजार सजने लगा है। बाजार में श्री लक्ष्मी गणेश की मूर्ति और सजावटी सामानों की दुकानें सज गई है। लॉक डाउन से इस बार निजात पाने के कारण दुकानदार इस बार अच्छा बाजार की उम्मीद लगाए हुए हैं। यही कारण है कि इस बार दुकानदार भी पिछले बार की अपेक्षा अधिक सामान दुकानदार बाजार में लाए हैं। दुकानदार बताते हैं कि इस बार उम्मीद है कि इस बार दिवाली अच्छी रहेगी। शहर की चौराहों बाजार के अलावे देहात की साप्ताहिक हाट-बाजार में भी मिट्टी के दीये, करंज तेल, और पूजा की सामानों की दुकान लगने लगी है। लेकिन इस बार महंगाई सबकी कमर तोड़ दी है। सभी सामान पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक दाम लगाए गए हैं। पिछले वर्ष पिछले वर्ष दीया 70 पैसे प्रति लेकिन 1रु20 पैसे प्रति बिक्री हो रही है। जबकि करंज तेल 170 रु प्रति लीटर बिक्री हो रही है, जबकि पिछली बार 90 रु से 100 रु प्रति लीटर बिक्री हुआ था। अब तो दिपावली की रात को दीये की जगमगाहट से पता चलेगा कि महंगाई कितनी है। चाहे जो भी हो दीये तो जलेंगे और पटाखे फूटेंगे।

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