रंजन चौधरी
मीडिया प्रतिनिधि, सदर विधायक, हजारीबाग
हजारीबाग। जीवन जीने के लिए हिम्मत, जज्बे और हौसले की बहुत जरूरत होती है लेकिन कई बार जिंदगी में ऐसे पड़ाव आते हैं जब यह तीनों शब्द बेमानी बनकर अपना महत्व खो देते हैं और लोग अपने प्रतिकूल व नकारात्मक परिस्थितियों से हारकर मजबूरन बैठ जाते हैं। फिर उनके साथ जो भी हुआ उसके लिए अपनी तकदीर को ही दोष देते हैं। लेकिन ऐसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कुछ इंसान ऐसे हैं जो अपनी विपरीत परिस्थिति को ही अपना किस्मत मानते हुए हिम्मत के साथ सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर होते हैं और अपनी तकदीर को बदलने में जुट जाते हैं।

ऐसे भी कहा जाता है कि जब कमजोरी ही ताकत बन जाए तो कोई हरा नहीं सकता, जब मन में दृढ़ संकल्प तो कोई आपको डिगा नहीं सकता ।
नारी शक्ति की अनोखी मिसाल बनकर उभरी हजारीबाग की एक बेटी नूरा निवासी स्व. मोती महतो की पुत्री नीलम कुमारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यह सच्ची कहानी वर्तमान कोरोना काल में अपने अभिभावक और घर के कमाऊ व्यक्ति को खोने वाले हजारों – लाखों युवक – युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उन्हें भी कुछ बेहतर करने का हिम्मत प्रदान करेगा। बात वर्ष 2015 की है जब नीलम दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई कर रही थी तभी पिता का साया उनके सर से उठ गया। पिता बीमार थे और उनके इलाज के लिए महाजन से कर्ज करना पड़ा। कर्ज इतना बढ़ गया कि घर का एकलौता कमाऊ व्यक्ति निलम का भाई पंकज कुमार ने एक सेकेंड हैंड टोटो खरीदी।

वर्ष 2017 में नीलम कुमारी ने अपने घर की माली हालत देख घर से ही प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया। भाई के मशक्कत को देख बहन से रहा नहीं गया और फिर नीलम भी भाई को हरसंभव सहयोग करने लगी। वर्तमान में नीलम के भाई पंकज कुमार लोहसिंघना में सब्ज़ी का दुकान लगाते हैं और बहन नीलम कुमारी टोटो से उनका सामान इधर – उधर करती हैं। नीलम अपने परिवार के लिए तो हिम्मत बनी ही है साथ ही परतंत्र की पराकाष्ठा को चोट देकर स्वाबलंबन की दिशा में भी बखूबी आगे बढ़ रही है। मोहल्ले के बच्चे नीलम को “टोटो वाली दीदी” कहकर बुलाते हैं। शहर के सड़कों और गलियों पर अमूमन आसानी से इस टोटो वाली दीदी को लाल रंग के टोटो पर देखा जा सकता है।

नीलम कुमारी बताती हैं कि मजबूरी में एक लड़की द्वारा टोटो चलाया जाना गलत है क्या? नहीं है, फिर भी लोग उनका मजाक उठाते हैं और गलत निगाह से देखते हैं। वो कहती है कि मेरे घर के आसपास के लोग ही मुझसे कहते हैं कि लड़की होकर टोटो चलाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती। कभी-कभी लोगों के ताने सुनकर मन उद्वेलित हो जाता है लेकिन इन बातों की परवाह किए बगैर इसे अपना कर्म मानकर निरंतर आगे बढ़ रही हूं और अपने परिवार पर हुए कर्ज को चुकाने के लिए भाई का हरसंभव मदद कर रहा हूं। वो कहती हैं कि मैं जेपीएससी की तैयारी भी कर रही हूं। नीलम के हिम्मत, जज्बे और हौसले एक दिन उन्हें जरूर मुकाम तक पहुंचाएगा और परिवार का कर्ज चुकाने में वो जरूर सार्थक होगी ।

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