रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित कोविड के मामलों की पहचान करने के लिए डोर टू डोर अभियान पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य ने इस संबंध में सभी उपायुक्तों को घर-घर जाकर व अभियान की विस्तृत योजना के लिए पत्र जारी किया है। एनआरएचएम झारखंड को आरएटी परीक्षण और लक्षणों के आधार पर संभावित कोविड रोगियों की पहचान के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है।

शुरू हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

झारखंड के तीन करोड़ लोगों की कोरोना से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सखी मंडल की दीदी सहित हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य हितधारकों को घर-घर जाकर सर्वेक्षण को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 मई को शुरू हुआ। प्रशिक्षण राज्य के हर ब्लॉक में आयोजित किया गया है। प्रखंड प्रशिक्षण दल द्वारा एएनएम, सीएचओ, एमपीडब्ल्यू और सहिया दीदी को प्रशिक्षित किया जा रहा है। परीक्षण प्रारूप के अलावा फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को ऑक्सीमीटर परिणाम तापमान और अन्य संबंधित लक्षणों को पढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह संभावित संक्रमित रोगी के पहचान करने में मदद करेगा, जिसे बाद में कोविड-19 परीक्षण के लिए परीक्षण केंद्रों में भेजा जा सकता है।

डोर टू डोर सर्वेक्षण

डोर टू डोर सर्वे के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर की टीम संबंधित पंचायत के हर घर का दौरा करेगी। इस दौरान किसी घर में कोई भी सकारात्मक मामला, पिछले दो महीनों में किसी की भी मौत या कोविड लक्षणों वाले व्यक्ति की पहचान के लिए हर घर का सर्वेक्षण किया जाएगा। यदि परिवार का कोई सदस्य संक्रमित पाया जाता है, तो टीम यह सुनिश्चित करेगी कि परिवार के अन्य सदस्यों का भी परीक्षण हो। इसके लिए एक परीक्षण केंद्र भी काम करेगा। अगर किसी में कोविड के लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द परीक्षण के लिए ले जाया जाएगा। प्रत्येक पंचायत में एक क्वारंटाइन सेंटर भी संचालित होगा।

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