रांची. लॉकडाउन के कारण रामनवमी पर रांची का प्रसिद्ध राम जानकी तपोवन मंदिर के कपाट बंद हैं। तपोवन मंदिर कमेटी ने कपाट बंद रखने का निर्णय लिया है। मंदिर के 282 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका है कि रामनवमी के दिन मंदिर का मुख्य गेट बंद कर दिया गया है।

मंदिर प्रबंध कमेटी ने राम भक्तों से आग्रह किया है कि वह अपने अपने घरों में सुरक्षित रहें और श्री राम लला के जन्म के समय अपने घरों में दीप जलाएं। हनुमान चालीसा और श्री रामरक्षा स्तोत्र पाठ, जाप और आरती करें। मंदिर में पुजारियों द्वारा नियमित पूजा अर्चना जारी रहेगी। मंदिर का मुख्य द्वार राज्य सरकार के अगले आदेश तक बंद रखा जाएगा और किसी भी परिस्थिति में मंदिर में प्रवेश वर्जित होगा।

पहला झंडा महावीर चौक से तपोवन मंदिर तक गया

रामभक्त हनुमान के प्राचीन तपोवन मंदिर का इतिहास रांची की रामनवमी से कई दशक पुराना है। उत्तर से मध्य भारत में रामनवमी के दिन राम की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन झारखंड में रामनवमी के दिन रामभक्त हनुमान की पूजा ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर विशाल महावीरी झंडों के साथ शोभायात्रा व जुलूस निकाले जाते हैं। अखाड़ों में सुबह पूजा अर्चना के बाद विशाल महावीरी पताकाओं के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच विभिन्न अखाड़ों के जुलूस एक दूसरे से मिलते हुए विशाल शोभायात्रा के रूप में तपोवन मंदिर पहुंचते हैं। यहां पहली बार 1929 में उस झंडे की पूजा हुई थी, जो महावीर चौक के प्राचीन हनुमान मंदिर से वहां ले जाया गया था। तत्कालीन महंत बंकटेश्वर दास ने जुलूस का स्वागत और झंडे का पूजन किया था। उसी दिन से यह परंपरा शुरू हुई।

 

 

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