रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की अदालत में राज्य के विश्वविद्यालय में संविदा के आधार पर बहाल हुए सहायक प्रोफेसर के मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने सहायक प्रोफेसरों को राहत दी है। अदालत ने

अपने आदेश में कहा कि संविदा पर नियुक्ति हुए लोगों को संविदा के आधार पर नई नियुक्ति से हटाया नहीं जा सकता है। इसके बाद अदालत ने राज्य के तीन विश्वविद्यालयों में नियुक्त लोगों को नहीं हटाने का आदेश दिया। इस मामले में अदालत ने पूर्व में बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस संबंध में डा. प्रियव्रत पांडेय, प्रभाष गोराई सहित सात अन्य लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों के अधिवक्ता विकास कुमार ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा वर्सेज पियारा सिंह के मामले में पारित आदेश में कहा है कि संविदा के आधार पर हुई नियुक्ति को संविदा के आधार पर होने वाली नई नियुक्ति से नहीं हटाया जा सकता है। इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने भी वर्ष 2018 में रितेश कुमार वर्सेज झारखंड सरकार के मामले में उक्त आदेश बरकरार रखा था। इस मामले में राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों ने अपने जवाब में कहा था कि पूर्व में संविदा पर बहाल किए गए सहायक प्रोफेसर को हटाया नहीं जाएगा। इसके बाद अदालत ने कोल्हान विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय और विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के सात लोगों को नहीं हटाने का आदेश पारित किया है। हालांकि इस मामले में अभी हाई कोर्ट में 229 याचिकाएं सुनवाई के लिए लंबित हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में सरकार के आदेश पर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में संविदा के आधार पर सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की गई थी। लेकिन मार्च 2020 में सरकार ने फिर से संविदा पर ही सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए बहाली निकाली थी। इसमें पहले से नियुक्त सहायक प्रोफेसर को दोबारा आवेदन करने के लिए कहा गया था।

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