पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाई गई इमरजेंसी का परिणाम था खूंटी में भाजपा का प्रभुत्व बढ़ना, जो अब तक बरकरार है। उस दौरान राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता निष्ठावान हुआ करते थे। वैसे ही जनसंघ के एकनिष्ठ और कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता थे स्व संतू गोप। संतू आजीवन खूंटी के भगत सिंह चौक के निकट आजीवन पान की दुकान चलाते रहे। आपात्तकाल के दौरना वे इतने त्रस्त हो गये कि उन्होंने प्रण कर लिया कि जब तक अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री नहीं बन जाते, तक तक वे नंगे पांव रहेंगे, कभी जूते या चप्पल का प्रयोग नहीं करेंगे। इसी बीच  1992 में खूंटी से अयोध्या जानेवाले कार सेवकों की टोली में स्व सन्तु गोप भी कार सेवक के रूप में अयोध्या पहुंच गए।

वे थे भी पक्के रामभक्त। एक हठ योगी, जिन्होंने में अयोध्या से कार सेवा के बाद आजीवन छह दिसंबर को खूंटी के भगत सिंह चौक स्थित बजरंग बली मंदिर और गोलंबर में दीप माला सजा कर और अपने छोटी सी पान दुकान से कमाए पैसों से लड्डू बांटते रहे। वे कहते थे बाबर की निशानी के ध्वंस का यह विजयोत्सव है। यह वह दौर था, जब देश और राज्य दोनों जगह रामजन्मभूमि आंदोलन के विरोधियों की सरकार थी। पुलिस प्रशासन के डर से हर कोई यहां तक कि संगठन के लोग भी उनका सहयोग करने से कतराते थे। कुछ लोग चोरी छिपे या दूर रहते हुए कुछ सहयोग कर देते थे, पर संतू थे धुन के पक्के।  एकला चलो रे की तर्ज पर दिवंगत संतु गोप ने इस सिलसिले को निःस्वार्थ भाव से राम की भक्ति में डूबकर 2017 तक जारी रखा। 1996 में जब अटल जी की सरकार बनी और वे प्रधानमंत्री बने, तब शहर के लोगों, वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र प्रसाद  कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने मिलकर उन्हें शपथ की याद दिलाई और उन्हें चप्पल पहनायी। इस तरह एक प्रतिज्ञा पूर्ण हुई। खूंटी के तत्कालीन सांसद कड़िया मुंडा उनसे जाकर मिले और शुभकामनाएं दीं, लेकिन धुन के पक्के रामभक्त ने एक  और भीषण प्रतिज्ञा ले ली कि जब तक मन्दिर का निर्माण या शिलान्यास नहीं होगा, तब तक नंगे पांव रहूंगा, फिर से अपने चप्पल उतार दिए।

समाजसेवी अश्विनी कुमार मिश्र बताते हैं कि  मैं जब भी उनकी दुकान की ओर जाता, संतू गोप बहुत धीमी स्वर में कहते पण्डित जी मेरे जीते जी मन्दिर बन जायेगा न और हमलोग उन्हें उत्साह वर्धन करते हुए कहते आप जरूर दर्शन करेंगे राम लला के उनके मन्दिर में और वे जीवन पर्यंत 2017 तक प्रत्येक वर्ष  छह दिसम्बर को बाबरी विध्वंस का विजयोत्सव मनाते रहे। अटल जी के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ता का देहावसान 17 अगस्त 2018 को अटलजी की के अंतिम संस्कार के दिन ही हो गया। अश्विनी कुमार मिश्र कहते हैं कि आज यदि वह जीवित होते तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं होता। जब मेरे मन में यह स्पष्ट कल्पना आयी, तो उनकी मंद मंद मुस्कराती छवि कौंध गयी और 1975 से अनवरत पार्टी की निष्ठा में समर्पण और एकला चलो रे की उनकी नीति याद आ गयी। आज जन्मभूमि के शिलान्यास पर वह अदना सा कार्यकर्ता जिन्हें कालांतर में लोग पागल भी समझने लगे, वह सबके ख्यालों से भले ही उतर गया हो, लेकिन निश्चित रूप से संभवतः कैसा भी कोरोना  संक्रमण का खतरा होता आज उस अखड़ मस्त मौला और निस्वार्थ समर्पित अटल  राम भक्त को अयोध्या पहुंचने से संभवतः कोई नहीं रोक सकता था। आज भूमि पूजन के शुभ अवसर पर श्रीराम के परम भक्त और जनसंघ काल से लेकर भाजपा काल तक के पार्टी के समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ता रहे दिवंगत भक्त एवं  कार सेवक संतु गोप आज आपकी आत्मा जहां भी हो भूमिपूजन को देख अवश्य पुलकित हो रही होगी। अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के पुनित अवसर पर हार्दिक श्रद्धांजलि पावन स्मृतियों को शत-शत नमन।

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