रामगढ़। बरकाकाना ओपी क्षेत्र के पोचरा बंगला निवासी कन्हैया यादव खुदकुशी करने ही दामोदर नदी पुल पर पहुंचा था। पेशे से मकैनिक कन्हैया अपने घर से सुबह ड्यूटी के लिए निकला था। लेकिन उसके दिमाग में अपनी जिंदगी को खत्म करने की कहानी चल रही थी। वह अपनी लाल रंग के यूनिकॉर्न बाइक (जेएच 01 एके 5270) से निकला था। सुभाष चौक पहुंचते ही उसने तय कर लिया था कि वह दामोदर नदी में कूदकर अपनी जान दे देगा। कन्हैया ने सीधे अपनी बाइक दामोदर नदी की तरफ दौड़ाई। पुल पार करते ही उसने अपनी बाइक किनारे लगा दी। हेलमेट और बैग भी बाइक में ही छोड़ दिया। यहां तक कि उसने अपने मोबाइल को भी बैग में डाल दिया। इसके बाद वह सीधे दामोदर नदी पुल से नीचे कूद गया।
पिछले एक वर्षों में तीन लोगों ने दी जान
पोचरा बंगला गांव में लाल बहादुर यादव का एकमात्र ऐसा घर है, जिसके आंगन में पिछले एक वर्षों से मातम पसरा हुआ है। एक वर्ष पहले लाल बहादुर यादव की पुत्री मोनी ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। इस हादसे से वह पूरी तरह उबर भी नहीं पाए थे, कि उनकी पत्नी की मौत भी ट्रेन से कट जाने के कारण हो गई। शायद उनकी पत्नी को भी बेटी की आत्महत्या का सदमा लगा था। गांव वाले भी उन्हें मानसिक तौर पर विक्षिप्त मानने लगे थे। इन दोनों हादसों के बाद सामाजिक तौर पर लाल बहादुर यादव और उनके पुत्र कन्हैया यादव को लोगों ने काफी सहयोग किया था। लेकिन शनिवार का दिन लाल बहादुर यादव के लिए एक और बुरी खबर लेकर आया। उनके पुत्र ने भी नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।
अपने काम के अलावा ज्यादा बात नहीं करता था कन्हैया : जितेंद्र अग्रवाल
कन्हैया यादव पिछले दो वर्षों से रामगढ़ शहर के पारालेक्स होंडा एजेंसी में बतौर टेक्नीशियन काम कर रहा था। शनिवार को उसके आत्महत्या की खबर एजेंसी के मालिक जितेंद्र अग्रवाल को भी मिली। जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कन्हैया बेहद शांत स्वभाव का लड़का था। वह अपने काम के अलावा ज्यादा किसी से बात नहीं करता था। जब उसकी मां की मौत हुई थी तब उस वक्त भी एजेंसी प्रबंधन ने उसे हर प्रकार से सहयोग किया था। अचानक उसने इतना बड़ा कदम कैसे उठाया, इसका पता किसी को नहीं है।