रामगढ़। रामगढ़ थाना क्षेत्र के हेसला स्थित झारखंड इस्पात प्लांट में मजदूर की मौत पर दो दिनों से प्रदर्शन जारी है। इस बीच इस प्लांट को भी प्रबंधन ने बंद कर दिया है। इसके बाद यहां कार्यरत लगभग 500 मजदूरों के रोजगार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रविवार को भी मृतक बुधुवा उरांव के परिजनों के समर्थन में आजसू नेता तिवारी महतो और सैकड़ों ग्रामीण प्लांट के मुख्य द्वार को बंद कर अनशन पर बैठे रहे। उन्होंने साफ कह दिया है कि जब तक मृतक के आश्रितों को ₹10 लाख का मुआवजा नहीं मिलता है, तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं होगा। यहां तक कि प्लांट को भी वे शुरू नहीं होने देंगे। लाश को ढाल बनाकर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पूरी रात प्लांट प्रबंधन पर दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन अभी तक यह मुद्दा हल नहीं हो पाया है। घटनास्थल पर पहुंचे एसडीपीओ अनुज उरांव और थाना प्रभारी विद्याशंकर ने कई बार ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। लेकिन वह पुलिस की कोई बात सुनने को तैयार नहीं हुए। इस बीच प्लांट प्रबंधन की ओर से भी मुद्दे को समझाने का प्रयास किया गया। लेकिन प्लांट प्रबंधन की भी किसी ने नहीं सुनी।
उचित मुआवजा देने को हैं तैयार, लेकिन बनाया जा रहा अनुचित दबाव : आलोक रुंगटा
इस पूरे प्रकरण में प्लांट मालिक आलोक रूंगटा ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा है कि मजदूर बुधुवा उरांव बीमारी से ग्रसित था। 9 अगस्त को जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, तभी उसके परिजनों को इस बात के लिए आश्वस्त किया गया था, कि इलाज का पूरा खर्चा प्लांट प्रबंधन उठाएगा। लेकिन दुर्भाग्यवश बुधुवा उरांव का निधन हो गया। इसमें प्लांट प्रबंधन की कोई गलती नहीं है। प्रबंधन ने बुधुवा उरांव के आश्रितों को उचित मुआवजा देने की बात भी कही थी। यहां तक कि उसके अंतिम संस्कार करने के लिए भी रकम दी जा रही थी। लेकिन राजनीति करने वाले कुछ लोगों ने इस मुद्दे को बेवजह तूल देने की कोशिश की है। प्लांट प्रबंधन किसी भी राजनीति में ना तो शामिल होना चाहता है और ना ही वह किसी मजदूर के साथ अन्याय कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले 2 दिनों से प्लांट बंद है, जिससे वहां काम करने वाले लगभग 500 मजदूर और उनके परिवार प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा सरकार को मिलने वाले प्रतिदिन के राजस्व की भी क्षति हो रही है। साथ ही प्रबंधन को भी काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने यह भी अपील जारी की है कि अगर किसी भी मजदूर के साथ कुछ होता है तो वहां पर यूनियन के सदस्यों के द्वारा बैठकर वार्ता की जाती है। लेकिन अनावश्यक प्रदर्शन और राजनीति कर दबाव बनाना सही नहीं है। उन्होंने अपनी पूरी संवेदना मजदूर के परिवार के प्रति जाहिर की है।