खूंटी। KHUNTI NEWS: कभी अफीम और गांजा की खेती के लिए बदनाम खूंटी जिले के ग्रामीण इलाके गेंदा फूलों से महक रहे हैं। ग्रामीण नशे की खेती को छोड़ फूलों की खेती को ओर ध्यान देने लगे हैं। प्रकाश पर्व दीपावली और आस्था के महापर्व छठ में जिले के लोग अब कोलकाता या दूसरे राज्यों के फूलों पर आश्रित नहीं हैं। स्थानीय फूल उत्पादक किसान ही फूलों की भरपूर आपूर्ति कर देते हैं।

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तोरपा, खूंटी, मुरहू सहित अन्य प्रखंडों में गेंदा फूल की खेती देखते ही बनती है। पहले जहां गांव की महिला-पुरुष अफीम की खेती के लिए चोरी-छिपे उसकी सिंचाई कर रखवाली करते थे, वे ही अब बंजर भूमि में खेती कर महज दो-तीन महीने में ही 60 से 60 हजार रुपये की कमाई कर ले रहे हैं। तोरपा प्रखंड के पूर्व प्रमुख और गेंदा फूल की खेती करने वाले किसान सामड़ोम टोपनो बताते हैं कि गेंदा फूल की खेती में समय भी कम लगता है और लागत भी कम होती है। इसकी खेती बंजर भूमि में भी की जा सकती है। इसके लिए अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती।

किसान परिवार से तालुक रखने वाले झटंगीटोली गांव के बिमल हेमरोम ने बचपन से ही खेती का माहौल देखा है। उसके मात-पिता भी खेती करते थे। खेती ही उनकी आजीविका का एकमात्र जरिया थी। घर में सिर्फ सब्जी और धान की ही खेती की जाती थी। बिमल ने फूलों की खेती में हाथ आजमाया और आज वे इससे अच्छी आमदनी कर रहे हैं। उसी गांव के जीदन हेमरोम बताते हैं कि गेंदा फूल की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक है।

मटर, टमाटर जैसी खेती से किसान दो या तीन फसल ही निकाल सकते हैं, पर गेंदा फूल का पैाधा ऐसा है, जिससे दस बार तक फूल तोड़ा जा सकता है। इसकी खासियत है कि यह जब तक जिंदा रहता है, तब तक फूल देता है। हालांकि, आकार छोटा होता जाता है। जीदन कहते हैं कि सब्जी की खेती से अधिक लाभ फूलों की खेती में है। ग्रामीणों ने बताया कि फूलों की खेती की प्रेरणा और सहायता उन्हें जेएसएलपीएस और स्वयंसेवी संस्था प्रदान से मिली।

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