खूँटी। 8 मार्च को प्रत्येक वर्ष देशभर ही नहीं अन्य देशों में भी महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन महिला कितना सशक्त है यह उनकी जीवनशैली और उनके कार्य कुशलता से पता चलता है।
जिले में एक ऐसी ही महिला जरिया गढ़ थाना अंतर्गत बसंती देवी अपने लगन और मेहनत से पूरे परिवार को ही नहीं पालन-पोषण की बल्कि बच्चों को पढ़ाई लिखाई करा कर योग्य बनाने के लिए डटी रही।
बसंती देवी के पति नगेश प्रजापति की पीवीसी मृत्यु के बाद परिवार के पालन पोषण का भार एक अज्ञात महिला की कंधे पर अचानक गिरा। सन 2006 में नागेश प्रजापति अबोध नाबालिक एक बेटा और तीन बेटियों को छोड़कर चल बसे थे। उस समय बसंती देवी को न कुछ आता था ना ही कुछ व्यवसाय के बारे में जानती थी।
लेकिन कहते हैं कि हालात सब कुछ सिखा देता है। और वही हुआ बसंती देवी के साथ। पति पाव रोटी बनाकर बाजारों में सूखे पापड़ और पावरोटी बेचने का काम करते थे। उस समय बसंती देवी को बनाने भी नहीं आता था। लेकिन बनाती हुई देखी थी। पेट और परिवार की भूख की ज्वाला ने उसे सब कुछ करने को सिखा दिया। और वह पावरोटी बनाना अपने आप से सीखी और पावरोटी बनाकर, चना और बादाम भूनकर बाजारों में पैदल जा कर बेचने का काम शुरुआत की। उस समय उनकी बीमार ग्रस्त सास जिंदा थी। साथ में सबसे बड़ा बेटा 12 वर्ष बेटियाँ 10 वर्ष, 8 वर्ष और 6 वर्ष की थी।
लेकिन सभी को पढ़ाई लिखाई करायी भी । आज भी उक्त विधवा महिला बसंती देवी अपने लगन मेहनत के बल पर एक बेटी का विवाह भी की। बेटा दूसरे जगह जाकर वाहन चलाने का काम रहा है। दो बेटियां मां के कामों का सहारा बनी हुई है। अभी वर्तमान में उसी पैसे के साथ घर में मशरूम उत्पादन भी करती है। और साथ में मशरूम उत्पादन कर बाजारों में ले जाकर बेचकर एक आदर्श गृहिणी के रुप में तो है ही, साथ में इनके कार्यों को अनुकरणीय और अनुसरण यदि कहा जा सकता है। ऐसी महिला से सीख लेकर महिला दिवस मात्र ही नहीं, बल्कि सभी को अनुकरण करने की आवश्यकता है।

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