दोषियों के खिलाफ हो कड़ी कार्रवाई

रांची। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने गुरुवार को कहा कि राज्य में निर्माणाधीन विद्युत परियोजनाओं की गुणवता सुनिश्चित कराना आवश्यक प्रतीत हो रहा है। ये परियोजनायें झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड और झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड द्वारा अरबों रूपये की लागत से क्रियान्वित की जा रही हैं। इन पर व्यय हो रहा धन या तो भारत सरकार से सहायता अनुदान मद में या ऋण मद में प्राप्त हुआ है। इनकी गुणवता निम्न स्तर का होने के प्रमाण उनके विधान सभा क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं को सरसरी नजर से देखने पर मिल रहे हैं। फिलहाल आरएपीडीआरपी योजना के तहत भारी लागत पर राज्य में जो काम ऊर्जा विभाग करा रहा है उनकी गुणवता सही नहीं हुई या काम आधा अधूरा रहा तो इसका खामियाजा आगे आने वाले दिनों मे भुगतना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पूर्व ऊर्जा विभाग की एपीडीआरपी योजना के अंतर्गत अरबों रूपये के खर्च पर जो कार्य हुये थे, वे कार्य घटिया भी थे और संवेदकों ने कार्य को आधा अधूरा छोड़ दिया। जिसका खामियाजा राज्य की जनता आज भुगत रही है। इसके बाद अब कतिपय नई योजनायें इन्हीं आधे अधूरे कार्यों को पूरा करने और विद्युत वितरण एवं संचरण कार्यों को विस्तार देने के लिये आरएपीडीआरपी एवं अन्य नामों से चल रही हैं।

उन्होंने कहा कि आरएपीडीआरपी का क्रियान्वयन दो भाग में होना था। भाग-1 जिसमें मुख्यतः तकनीकी समाधान प्रस्तुत करना था, का क्रियान्वयन पूरी तरह विफल हो चुका है। इसके लिये कौन जिम्मेदार है इसका पता नहीं। भाग-2 के तहत वितरण एवं संचरण की अधोसंरचनायें निर्मित की जा रही हैं। यह काम संवेदकों को ‘‘टर्न की‘‘ पर दिया गया है। इन्हीं कार्यों में से एक के बारे में भुगतान लंबित होने और भुगतान की एवज में कमीशन मांगे जाने का लिखित आरोप टाटा पावर के परामर्शी ने आपको ई-मेल भेजकर लगाया है। इसकी जांच एवं तदनुरूप कारवाई के फलाफल का पता नहीं हैं।

सरयू राय ने कहा कि उन्होंने अपने विधान सभा क्षेत्र में इन योजनाओं के तहत चल रहे पावर सबस्टेशन निर्माण और भूमिगत केबुलिंग तथा ओवरहेड केबुलिंग के कार्यों का सरसरी तौर पर मुआयना किया है। ये काम निर्माण के क्षेत्र में रसूख रखने वाली कम्पनी ‘‘वोल्टास‘‘ कर रही है। काम घटिया होने की मेरी शिकायत की जांच जमशेदपुर प्रक्षेत्र के अधिकारियों ने किया है और शिकायत सही पाया है। इस योजना के तहत ट्रांसफॉर्मर लगाने-बदलने की शिकायत क्षेत्र की जनता रोज कर रही है। उन्होंने ऊर्जा विभाग की वितरण-संचरण कम्पनियों से इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगा है। ‘‘टर्न की‘‘ बेसिस पर हो रहे अधोसंरचना निर्माण के ये कार्य सही रूप में नहीं हुये तो पूर्व की एपीडीआरपी और वर्तमान की आरएपीडीआरपी की तरह इनके भी विफल हो जाने का दुष्परिणामों राज्य को और राज्य की जनता को लंबे समय तक भुगतना पड़ेगा। आपको जनहित एवं राज्यहित में इसपर विशेष ध्यान देना चाहिये।

10-15 साल पूर्व इस राज्य में कतिपय ऐसे निर्णय एवं कार्य हुये हैं जिन पर उस समय उठे सवालों को दरकिनार किया गया और इन निर्णयों के दूरगामी दुष्परिणामों पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा है कि ऐसे निर्णयों के दुष्परिणाम रांची और जमशेदपुर की जनता भुगत रही है। इनपर हुये करोड़ों रूपये का व्यय निष्फल हो गया। राजकोष पर पड़े अनावश्यक व्यय बोझ की जिम्मेदारी तक सुनिश्चित नहीं हुई। अपरिपक्व राजनैतिक दृष्टिकोण, सतही समझदारी, नकल करने की प्रवृति, अल्पकालीन लाभ-लोभ की मानसिकता, निहित स्वार्थी मनोवृति और जनविरोधी हठधर्मिता की मानसिकता के वशीभूत होकर लिये गये राजनैतिक-प्रशासनिक निर्णयों से कालक्रम में नुकसान होना अपरिहार्य होता है। इस नुकसान का दुष्परिणाम कुछ वर्षों बाद परिलक्षित होता है। ऊर्जा विभाग की वितरण एवं संचरण कम्पनियों द्वारा क्रियान्वित की जा रही उपर्युक्त परियोजनाओं के क्रियान्वयन के संदर्भ मे ऐसी ही स्थिति उत्पन्न होने की प्रबल संभावना प्रतीत हो रही है। ऐसा होना राज्यहित एवं जनहित में दुर्भाग्यपूर्ण होगा। इससे राज्य के विकास पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ेगा। इस पर अंकुश लगना चाहिये और इसके लिये दोषियों पर विधिसम्मत कार्रवाई करने में संकोच नहीं होना चाहिये ताकि राज्य सरकार की छवि धूमिल नहीं हो।

उपर्युक्त विवरण के आलोक में यदि इन कार्यों की गुणवता और इनपर हो रहे व्यय की निष्पक्ष जांच केन्द्र सरकार के विद्युत प्रतिष्ठानों से करा ली जाय तो बेहतर होगा। जनता के हित में, राजकीय खजाना के हित में और राज्य के दूरगामी विकास एवं गुणवतायुक्त जनसुविधाओं के हित में ऐसा करना श्रेयस्कर होगा।

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