रांची। झारखंड में दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड का उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर इन दिनों सुर्खियों में है। इस गांव के हर घर की दीवार ब्लैकबोर्ड और दर-देहरी पाठशाला है। कोरोना काल में शिक्षा आपके द्वार के तहत इस नायाब प्रयोग की प्रशंसा नीति आयोग ने भी की है। यह है दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड का डुमरथर गांव। गांव की गलियों में हर घर की देहरी पर स्कूल की पोशाक पहने 200 से ज्यादा बच्चे रोज कतार में बैठक कर पढ़ाई कर रहे हैं। यह आदिवासी बहुल गांव है, जहां समाज के लोग सदियों से अपने घरों की खूबसूरत दीवारों पर भित्तिचित्र यानी म्यूरल्स उकेरने के लिए जाने जाते हैं और जिनके घरों की दीवारों पर काला रंग वर्जित है, उसने अपने अच्चों के भविष्य के लिए इन्हीं दीवारों में एक साथ दो सौ से ज्यादा ब्लैक बोर्ड टांग दिया। हर बच्चे के लिए एक-एक ब्लैक बोर्ड है, जिन पर स्कूल के शिक्षक उनके सवालों का जवाब लिख कर उन्हें पढ़ा रहे हैं। बच्चों के अभिभावक और गांव के लोग भी बेहद खुश हैं और स्कूल के शिक्षकों की हरसंभव मदद में लगे हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक डाॅ सपन कुमार ने रविवार को बताया कि जब लाॅक डाउन में स्कूल बंद हो गया और मोबाइल नहीं होने के कारण बच्चों की आॅनलाइन पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही थी, तो वे बेहद चिंतित थे। उसी चिंता ने उन्हें यह नायाब प्रयोग करने की राह दिखायी और आज स्कूल के सारे बच्चे कोरोना के संक्रमण के भय से मुक्त होकर प्रतिदिन पढ़ाई कर रहे हैं। बहरहाल स्कूल के प्रधानाध्यापक के इस प्रयोग की नीति आयोग ने भी सराहना की है और उपायुक्त ने उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया है।
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