हजारीबाग। प्रबल इच्छा शक्ति से कोरोना को हराकर भारत विश्व गुरु बनेगा। वर्तमान में हम सभी कोरोनाकाल की महामारी से गूजर रहे हैं। कोविड-19 गाइडलाइन एवं घरेलू औषधीय उपचार कर हम कोरोना को निश्चित ही मिटा देंगे। उक्त बातें स्ट्रेस मैनेजमेंट पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डा कामिनी कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि भारतीय औषधीय उपचार एवं योग का प्रयोग कर हम शरीर के अंदर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

चौदह दिनी जीवी कोरोना वायरस हम शताब्दी जीवी मानव से टक्कर नहीं ले सकता। इसलिए हम अपने इच्छा शक्ति को दृढ़ बनाकर रखें। न्यू दिल्ली स्थित एनएसएस निदेशालय के सहायक कार्यक्रम सलाहकार कमल कुमार कर ने कहा कि हमारे एनएसएस के स्वयंसेवकों ने कोरोनाकाल में अपनी अहम भूमिका निभाई है तथा आगे भी एहतियात बरतते हुए कोरोनाकाल में सामाजिक कार्यों के प्रति अहम भूमिका निभाएंगे। पटना स्थित क्षेत्रीय निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशक पीयूष परांजपे ने कहा कि वैक्सीनेशन से कोरोना संक्रमण की संभावना काफी कम हो जाती है। स्वयंसेवकों को कोरोनाकाल में स्वयं बचना तथा दूसरों को बचाना है। रिसोर्स पर्सन के रूप में राज्य स्ट्रेस मैनेजमेंट सेल के विशेषज्ञ मिलन कुमार सिन्हा ने कहा कि समस्याओं का समाधान से मिलन कराना हमारा कर्म है। समस्या एवं समाधान प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की कड़ी है।

स्वामी विवेकानंद के उद्देश्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में असीम क्षमता है। कोरोनाकाल में सभी को सावधानी एवं जागरूकता की जरूरत है। मनोवैज्ञानिक एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट सेल के डा शशी भूषण कुमार गुप्ता ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्ट्रेस मैनेजमेंट की विस्तृत जानकारी दी। वेबिनार का संचालन संयुक्त रूप से राज्य एनएसएस पदाधिकारी डॉ ब्रजेश कुमार एवं यूनिसेफ की आस्था अलंग ने की। एसएनओ डा ब्रजेश ने कहा कि हमने कोरोना भगाने का उद्देश्य ‘न डरना है, न घबराना है, मिलकर कोरोना को हराना है’ के दस दिवसीय विश्वविद्यालय स्तरीय वर्चुअल स्पर्धा एवं उसके बाद राज्य स्तरीय वर्चुअल स्पर्धा आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें सफल प्रतिभागी चयनित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में युवाओं के अंदर व्याप्त तनाव एवं अवसाद को दूर करने के लिए एनएसएस एवं यूनिसेफ झारखंड के संयुक्त तत्वाधान में एक तनाव प्रबंधन कोषांग का गठन किया गया है, जिसमें सदस्य के रूप में रांची विश्विद्यालय् के डा शशिकला सिंह एवं संत कोलंबा कालेज के सरिता सिंह समेत ग्यारह सदस्य शामिल है। वेबिनार में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डा जाॅनी रूफीना तिर्की ने कहा कि सभी स्वयंसेवक सामाजिक भागीदारी में एसओपी गाइडलाइन का पालन कर अपनी तथा दूसरों की सुरक्षा करने का कार्य करेंगे।

इस वेबिनार में मुख्य रूप से यूनिसेफ के प्रियंका सिंह सिध्दू,सिदो कान्हो
मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका के कार्यक्रम समन्वयक डा मैरी मार्गेट टुडू, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के कार्यक्रम समन्वयक डा दारा सिंह गुप्ता विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के कार्यक्रम पदाधिकारियों में संत कोलंबा कालेज के डा सरिता सिंह, मार्खम कालेज के बीएन सिंह, यूसेट के डा खेमलाल महतो, गिरिडीह कालेज के डा रजनी बड़ाईक, हंटरगंज कालेज के डा फहीम अहमद, कर्णपुरा कालेज के सुरेश कुमार, केबी वीमेंस कालेज के मीना सिंह, झारखंड कालेज, डुमरी के डा मनोज कुमार सिंह, चतरा कालेज के अतुल तिर्की, ग्रिजली कालेज के सौरव शर्मा, सुभाष टीचर्स ट्रेनिंग कालेज के संजीव कुमार सिंह, स्वयंसेवकों में अभिषेक रंजन, सुभ्रा कुमारी, पायल कुमारी, सृष्टि कुमारी, निर्भय कुमार, सुजाता कुमारी, ज्योति जारिका, रुचि कुमारी, आयुषी कुमारी, अंजली राज, मिनाक्षी कुमारी, तेजवंत कुमार , मुनाजिर आलम उपस्थित थे।

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