खूँटी। जिले में संक्रमण के भारी बढ़ोतरी के बावजूद स्थिति और व्यवस्था के मध्य नजर सुबे के सरकार के पक्ष और विपक्ष का आरोप प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां जिला कांग्रेस कमिटी के जिलाध्यक्ष और प्रवक्ता ने केंद्रीय जनजातीय मामले के मंत्री सह क्षेत्रीय सांसद अर्जुन मुंडा को लपेटते हुए उनके जिला सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार के द्वारा लगाए गए आरोपों की निंदा की थी तो सांसद प्रतिनिधि ने भी जनहित की बात उठाते हुए लगाएं गए आरोपों का खण्डन करते हुए कांग्रेसियों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि खूँटी की जनता की आवाज उठाने का अधिकारी स्वयं भारत का संविधान मुझे देता है। मेरे द्वारा राज्य सरकार पर लगाए जा रहे सारे आरोप एवं सवाल तर्कसंगत है। और यह खूँटी की जनता की आवाज है। मैंने तो खूँटी जिला में स्थित रूलिंग पार्टी के नेताओं से भी आवाह्न किया था कि खूँटी जैसे पिछड़े जिलों की जनता के समुचित एवं बेहतर इलाज हेतु संसाधन जुटाने में सहयोग प्रदान करें। लेकिन मेरे प्रयासों को निराशा ही हाथ लगी। खूँटी जिला के रूलिंग पार्टी के नेताओं को पार्टी की राजनीति से ऊपर उठकर खूँटी की जनता की हित  में आवाज उठाना चाहिए था। न कि राज्य सरकार के द्वारा उठाए जा रहे अव्यवस्थित कदम को मौन स्वीकृति स्वीकृति देनी चाहिए थी।

इस कोविड महामारी के सामने खूँटी जिला प्रशासनिक पदाधिकारी ढाल बनकर खड़े है उनकी जितना सराहना की जाए कम है, लेकिन राज्य सरकार के द्वारा किये जा रहे संसाधनों की अभाव के कारण उनके भी हाथ बंध गए है। इसका प्रमुख प्रमाण केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जी के द्वारा एमपी फन्ड से 50 लाख की स्वीकृति देने पर खूँटी जिला में इस कोरोना महामारी के दौरान जिला प्रशासन के द्वारा पूरे झारखंड का पहला ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का इतिहास रच दिया। खूँटी जिला के रूलिंग पार्टी के नेताओं द्वारा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के एमपी फंड का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन प्लांट लगाना उनका कर्तव्य बताया गया और यह राशि जनता की बताई गई। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह सारा पैसा जनता का है, लेकिन मैं रूलिंग पार्टी के नेताओं से उनके कथनानुसार यह सवाल पूछना चाहता हूं कि तो फिर झारखंड राज्य सरकार खूँटी की जनता के प्रति अपने कर्तव्य का पालन क्यों नहीं कर रही? जनता के पैसे को खूँटी की जनता की सुविधा हेतु संसाधन जुटाने में झारखंड राज्य सरकार क्यों असमर्थ है? और खूँटी जिला के रूलिंग पार्टी के नेता इस पर मौन क्यों है? क्या यह राजनीति नही?

उन्होंने यह भी कहा कि खूँटी जिला में संसाधनों की कमी किसी से छुपी नहीं है। लेकिन फिर भी मैं कांग्रेस के मित्रों की जनकारी के लिए बता देना चाहता हूँ कि खूँटी जिला से 17 वेंटिलेटर रांची भेजा गया और खूँटी में बचे 09 वेंटिलेटर। 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर रांची भेजे गए, खूंटी में बचे 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर। खूंटी से 12 सीएचओ रांची बुलाए गए जिसमें जिले में 18 सीएचओ बचे हैं, उस 18 में 10 सीएचओ कोविड पॉजिटिव है। 08 सीएचओ जिले को कितना सम्भालेंगे। जिले में सीटी स्कैन मशीन अभाव के कारण मरीजों को सुविधा नहीं उपलब्ध हो पाता है। उन्हें रांची जाकर सीटी स्कैन कराना पड़ता है। जिला में आरटी पीसीआर जांच की मशीन के अभाव के कारण जिले का सैंपल बाहर भेज कर जांच करवाना पड़ता है। जिससे जांच की रिपोर्ट आने में 7 से 10 दिनों का समय लगता है। और संक्रमित मरीजो की हालात और खराब हो जाती है। लेकिन राज्य सरकार के द्वारा खूँटी जिला में और संसाधन बढ़ाने के बजाए यहाँ की संसाधनों को भी रांची भेज दिया जा रहा है और खूँटी की जनता को मौत के मुंह में धकेल दिया जा रहा है। जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। शहरी क्षेत्र में सरकारी बड़ी हॉस्पिटल, प्राइवेट हॉस्पिटल से लेकर अन्य संसाधनों की कोई कमी नहीं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में  सरकारी हॉस्पिटल के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती संक्रमितों को देखते हुए आवश्यकता अनुसार संसाधन बढ़ानी चाहिए ना की यहां के संसाधन को दूसरे जगह भेज देना चाहिए।

पिछले वर्ष कोरोना फेज एक से सफलता की वाहवाही लेने वाले खूँटी जिला रूलिंग पार्टी के मित्र आगे खड़े है लेकिन मैं उन्हें नींद से जगाकर याद दिलाना चाहता हूँ कि पिछले वर्ष का लॉक डाउन का कमांड केंद्र सरकार के हाथ में था और इस वर्ष की राज्य सरकार की अव्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। जबकि पिछले वर्ष इनके राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी जी के द्वारा लॉकडाउन का विरोध भी किया गया था।

उन्होंने बताया कि अर्जुन मुंडा केंद्रीय मंत्री हैं उनके ऊपर पूरे भारत के जनजातियों के उत्थान की जिम्मेवारी है। जिसमे वह पूरा करने के लिए पूरी लगन और निष्ठा से लगे है। लेकिन फिर भी वह खूँटी की जनता के लिए सदैव तत्पर रहते है। असम एवं बंगाल चुनाव प्रचार पर में रूलिंग पार्टी के साथियों से यह सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, एवं अन्य पक्ष दल के नेता बंगाल एवं असम चुनाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन के समर्थन में चुनाव प्रचार करने नहीं गए थे क्या? ऐसे आरोप लगाकर आपके द्वारा इस कोरोना महामारी की विकट परिस्थितियों में राजनीति नहीं की जा रही है?

उन्होंने पलटवार कर कहा कि मैं खूँटी की जनता के हित में सदैव खूँटी की जनता का आवाज बनकर उठता रहूंगा। इन आलोचनाओं से पीछे हटने वाला नहीं। उन्होंने राज्य सरकार से यह मांग करते हुए कहा कि खूँटी जिला में हो रहे संसाधनों की कमी को जल्द से जल्द आपूर्ति कर पूरा करे।

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