पिपरवार। चतरा जिलान्तर्गत बचरा को पिछले बर्ष नगर पंचायत का दर्जा दिया गया था।बचरा मे सीसीएल की कई बड़ी बड़ी परियोजनाओं की आवासीय कॉलोनियाँ बनी हुई है यहाँ अशोका, पिपरवार, मगध, आम्रपाली से जुड़े हुए सीसीएल अधिकारियो के साथ कामगारो की कॉलोनियाँ भी है जिससे बचरा चार नंबर मुख्य व्यवसायिक केन्द्र के रुप मे भी विकसित हो गया।बचरा मे दो पंंचायत है जिसमे बचरा उतरी एवं दक्षिणी है। कॉलोनी एवं बाजार क्षेत्र मे जनसंख्या घनत्व को देखते हुए सिर्फ इन्ही क्षेत्रो को नगर क्षेत्र मे रखना चाहिए था लेकिन दोनो पंचायत मे आने वाले उन गाँवो को भी नगर पंचायत मे शामिल कर दिया है जो विकसित क्षेत्रो से दुर होने के साथ साथ जंगलों के बीच बसे हुए है लेकिन बचरा उतरी पंचायत मे एक गाँव ऐसा भी है जिसे भौगोलिक रुप से कभी भी बचरा मे नही होना चाहिए लेकिन शायद उस बस्ती का नाम बचरा टांड होने की वजह से उसे ये खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।ये गाँव है बचरा टांड जो राँची जिला के कई गाँवो के बीच मे होते हुए भी चतरा जिला मे है।

अगर पिछड़े से पिछड़े इलाको की कोई सटीक परिभाषा हो तो वो इस गाँव पर साफ साफ सटीक बैठेगी।चारो तरफ से जंगलो से घिरा सुविधाविहीन गाँव बचरा टांड गांव को किस सर्वे के आधार पर नगर पंचायत मे शामिल किया गया लोग समझ नही पा रहे है इसके साथ बचरा बस्ती, हेसाबर और पड़रिया को सुविधा ,दुरी ,अलग भौगोलिक स्थितियो के साथ विकास से कोसों दुर होने के बावजुद भी नगर क्षेत्र मे शामिल करना लोगों के गले नही उतर रहा है और अब ग्रामीण इसके विरोध पर उतर आए है।इसी कड़ी मे बड़कागांव विधायक प्रतिनिधि राजेन्द्र गुप्ता ने इस बात का संज्ञान लिया और इसका विरोध करने का निर्णय लिया।इसको लेकर विधायक प्रतिनिधि राजेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता मे एक बैठक हुई जिसका संचालन उपमुखिया महेन्द्र महतो ने किया।बैठक मे निर्णय हुआ की पहले हम लोग चतरा उपायुक्त को आवेदन देकर बचरा टांड, बचरा बस्ती,हेसाबर एवं पड़रिया को नगर क्षेत्र से बाहर करने की मांग करेंगे और समाधान न होने की स्थिति मे हमलोग आ़दोलन के लिए विवश होगे।चुकि अभी नगर पंचायत के लिए चुनाव भी होने है तो इस संबंध मे स्थानीय निकाय चुनाव प्राधिकरण को भी पत्र लिखकर फिर से सर्वेक्षण कराने की मांग करेंगे।

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