रांची। राज्य की लगभग डेढ़ लाख महिलाएं अपना उद्यम शुरू कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का रथ खींच रही हैं। साथ ही झारखंड को विकास के राजपथ पर दौड़ाने के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के विजन को भी ये महिलाएं अमलीजामा पहना रही हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण महिलाओं को आजीविका से जोड़कर उनकी आमदनी में बढ़ोतरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इस कड़ी में ग्रामीण महिलाओं को उद्यम के गुर के साथ लोन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान कर उद्यमिता से जोड़ा जा रहा है। राज्य में करीब डेढ़ लाख ग्रामीण महिलाएं लोन लेकर सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं।

हर महीने 40 हजार कमाती है शीतल जारिका

पश्चिम सिंहभूम के सुदूर गांव केंदुलोटा की एक साधारण महिला के लिए अपनी दुकान चलाना किसी सपने से कम नहीं हैं। शीतल जारिका ने इस सपने को पूरा किया और अच्छी आमदनी कर रही हैं। आज वह तीन दुकानों की मालकिन हैं। वह बताती है, “ जीवन के मुश्किल दौर में सरकार की ओर से पांच हजार का लोन लेकर लेडिज कार्नर शुरू किया, जिससे महीने मे 4 से 5 हजार रुपये की आमदनी हो जाती थी। फिर दोबारा लोन लेकर जूते-चप्पल की दुकान खोली। इन दोनों व्यवसायों से होनेवाली अच्छी कमाई ने हौसला दिया और अब उन्होंने सीमेंट की दुकान भी खोली है, जिसका संचालन उनके पति करते हैं।“ अब शीतल हर महीने करीब 40 से 50 हज़ार रुपये की आमदनी कर रही हैं । आज वो दूसरी ग्रामीण महिलाओं को उद्यम से जुड़ने का हौसला भी देती हैं।

क्रेडिट लिंकेज से सफल उद्यमी तक का सफर

साहेबगंज जिले की लालबथानी गांव की हैं ममता बेगम । ममता को बेहतर आजीविका से जुड़ने का अवसर मिला और क्रेडिट लिंकेज से लोन लेकर कपड़े की दुकान की शुरुआत की। कमाई अच्छी होने लगी, तो पुराना लोन चुकाकर नया लोन लेकर दुकान को बढ़ाती चली गईं। आज ममता करीब 50 हज़ार रुपये हर माह कमाती हैं। इससे उनके परिवार को आर्थिक सहयोग प्रदान हो रहा है।

दूसरी ओर पलामू के पोखराखुर्द पंचायत की हसरत बानो को सरकार से उद्यमी बनने की ताकत मिली। सखी मंडल से लोन लेकर आटा चक्की से अपने व्यवसाय की शुरुआत कर हसरत अब फुटवियर व्यवसाय में भी हाथ आजमा रही हैं। हसरत बताती हैं, “कभी आर्थिक दिक्कतों के चलते परिवार का भरण पोषण किसी तरह से हो पाता था। क्रेडिट लिंकेज के लोन की ताकत ने आज उन्हें सफल उद्यमी के रूप में स्थापित किया है।“

सरकार का मिल रहा सहयोग

ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत जेएसएलपीएस द्वारा क्रियान्वित विभिन्न योजनाओं के जरिए ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मदद एवं प्रशिक्षण के जरिए उद्यम से जुड़ने का अवसर दिया जा रहा है। सखी मंडल से मिलने वाले लोन के जरिए महिलाएं सूक्ष्म उद्यम की शुरुआत कर अच्छी कमाई कर रही हैं। राज्य में 2.6 लाख सखी मंडलों के जरिए करीब 32 लाख परिवारों को सशक्त आजीविका से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गांव को स्वावलंबी बनाने का प्रयास अब रंग ला रहा है। सुदूर गांव के अंधेरे में पलने वाले सपने सखी मंडल के जरिए साकार हो रहे हैं। हसरत, शीतल एवं ममता जैसी लाखों महिलाएं आज सखी मंडल से जुड़कर सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं और आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं।

राज्य में सखी मंडल की महिलाओं को उद्यमिता से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सखी मंडलों के क्रेडिट लिंकेज एवं स्टार्टअप विलेज उद्यमिता कार्यक्रम के तहत दीदियों को आर्थिक मदद एवं प्रशिक्षण का भी प्रावधान है। राज्य में करीब 1.5 लाख ग्रामीण महिलाएं आज अपना व्यवसाय शुरू कर सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। वहीं करीब 18 लाख परिवार को खेती, पशुपालन, उद्यमिता, वनोपज आदि के जरिए आजीविका से जोड़ा जा चुका है।

हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना

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