रांची। झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि मोदी सरकार हरित क्रांतिको हराने की घिनौनी साजिश कर रही है। मोदी सरकार कोरोना महामारीकी तरह है, जो खेती-किसानी के लिए जानलेवा साबित हो रही है।

उरांव शनिवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब नोटबंदी की मोदी ने रो-रोकर कहा- मेरे को 50 दिन दे दो। 50 दिन बीत गए कितने लोग मरे। जब कोरोना का लॉकडाउन किया, कहते हैं, मेरे को 21 दिन दे दो, मैं सब ठीक कर दूँगा। आज एमएसपी की बात आई तो आज इस बिल में, आज जो इनके मंत्री कह रहे थे कि हमें दो साल का समय दे दो, और फिर चेंज देखना। क्या हम वो चेंज देखेंगे, जो डिमोनेटाइजेशन के बाद इकॉनमी का हाल हुआ। क्या हम वो चेंज देखेंगे, जो 21 दिन के कोरोना के लॉकडाउन के बाद इतने मरीज बढ़े हैं। हमारे सांसदों ने संसद में अपील की कि आप जो मर्जी करो, हमें ये लिखकर दे दो कि जो भी एमएसपी होगी, उस पर सरकार खरीद करेगी, ये लिखकर दे दो और माइक बंद कर देतें हैं, फिर, मंत्री हाउस छोड़कर भाग जाते हैं।

हमारी बुलंद आवाज को बहुमत की गुंडागर्दी से नहीं दबाया जा सकता। आज बिहार के किसान की हालत बद से बदतर है। किसान की फसल को दलाल औने-पौने दामों पर खरीदकर दूसरे प्रांतों की मंडियों में मुनाफा कमा एमएसपी पर बेच देते हैं। अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गई, तो इससे सबसे बड़ा नुकसान किसान-खेत मजदूर को होगा और सबसे बड़ा फायदा मुट्ठीभर पूंजीपतियों को। मोदी सरकार का दावा कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, पूरी तरह से सफेद झूठ है। आज भी किसान अपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है। लेकिन वास्तविक सत्य क्या है। कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक देश का 86 प्रतिशत किसान पांच एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मल्कियत दो एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 प्रतिशत किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कहीं और ट्रांसपोट कर न ले जा सकता या बेच सकता है। मंडी प्रणाली नष्ट होते ही सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा। मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि की रोजी रोटी और आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से किसानों के साथ ही मंडियों का भी नुकसान होगा। कृषि विधेयक किसान विरोधी है यह संघीय ढांचे पर भी सीधा प्रहार है।

किसान को खेत के नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी में उचित दाम किसान के सामूहिक संगठन तथा मंडी में खरीददारों के आपस के कॉम्पटिशन के आधार पर मिलता है। मंडी में पूर्व निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्यकिसान की फसल के मूल्य निर्धारण का बेंचमार्क है। यही एक उपाय है, जिससे किसान की उपज की सामूहिक तौर से प्राईस डिस्कवरीयानि मूल्य निर्धारण हो पाता है। अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था किसान की फसल की सही कीमत, सही वजन व सही बिक्री की गारंटी है। अगर किसान की फसल को मुट्ठीभर कंपनियां मंडी में सामूहिक खरीद की बजाय उसके खेत से खरीदेंगे, तो फिर मूल्य निर्धारण, वजन व कीमत की सामूहिक मोलभाव की शक्ति खत्म हो जाएगी। स्वाभाविक तौर से इसका नुकसान किसान को होगा।

अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म होने के साथ ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी। प्रांत मार्केट फीसग्रामीण विकास फंडके माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचागत विकास करते हैं व खेती को प्रोत्साहन देते हैं।

उन्होंने कहा कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटीकी रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80,000 से 1 लाख करोड़ की बचत हो। इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पर पड़ेगा। अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथामें फंसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। क्या दो से पांच एकड़ भूमि का मालिक गरीब किसान बड़ी बड़ी कंपनियों के साथ फसल की खरीद फरोख्त का कॉन्ट्रैक्ट बनाने, समझने व साईन करने में सक्षम है। साफ तौर से जवाब नहीं में है। उरांव ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध करते हुए कहा है कि महामारी की आड़ में किसानों की आपदा को मुट्ठी भर पूंजीपतियों के अवसर में बदलने का काम न करें। कई बार जब किसी के घर में विपती आती है तो दुष्ट मानसिकता के लोग विपती में संपति बनाने में लग जाते हैं। वैसे लोगों से प्रधानमंत्री जी को सावधान रहने की जरूरत है। कांग्रेस विधायक दल के नेता सह मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश का किसान और मजदूर सड़कों पर है, पर सत्ता के नशे में मदमस्त मोदी सरकार उनकी रोटी छीन खेत और खलिहान को मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हवाले करने में लगी है। कृषि विरोधी तीन काले कानूनों ने सबका साथ, सबका विकासकी झूठ और उसका पर्दा मोदी सरकार के चेहरे से उठा दिया है। 

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, संजय लाल पासवान, प्रवक्ता डॉ एम. तौसीफ, ज्योति सिंह मथारू, रांची ग्रामीण अध्यक्ष सुरेश बैठा उपस्थित थे।

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