रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ. एम. तौसीफ ने केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि झारखंड राज्य के साथ केंद्र सरकार सौतेला बर्ताव कर रही है। जीएसटी के बकाया पैसे को लेकर झारखंड सरकार पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार से गुहार लगा रही है। इसके बावजूद केंद्र सरकार के कानों में सुनाई नहीं दे रहा है। झारखंड प्राकृतिक संपदाओं से भरा हुआ प्रदेश है। जिसके संसाधनों से केंद्र सरकार को हज़ारों करोड़ रुपए हर साल मिलता है। झारखंड राज्य से इतनी बड़ी राशि मिलने के बाद भी जीएसटी का बकाया पैसा केंद्र सरकार झारखंड सरकार को देने के लिए इच्छुक नहीं है।
डॉक्टर तौसीफ ने आरोप लगाया कि पिछली रघुवर सरकार ने झारखंड के खजाने का इस कदर बंदरबांट किया है कि राज्य सरकार के सामने कई वित्तीय चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं। जिसकी वजह से झारखंड सरकार वित्तीय संकट से गुजर रही है, ऐसे में जीएसटी बकाया को लेकर बार-बार झारखंड सरकार केंद्र सरकार से गुहार लगा रही है, उसके बाद भी केंद्र सरकार पैसा देने के लिए तैयार नहीं है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि आज देश हर क्षेत्र में संकट के दौर से गुजर रहा है। जीडीपी लगातार गिरती जा रही है। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है,इसके जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं, वह बार-बार कहा करते थे कि देश को मजबूत करने के लिए आर्थिक और राजनीतिक तौर पर कड़े फैसले लेने होते हैं। प्रधानमंत्री ने सबसे पहले डिमॉनेटाइजेशन करने का का फैसला लिया,उसके बाद से ही जीडीपी में गिरावट शुरू हो गई थी, जीएसटी लागू करने के बाद छोटे कारोबारियों एवं साधारण उद्योगपतियों के लिए यह काल बन गया और जो रहा सहा बचा हुआ था वह अचानक लॉक डाउन करके देश की अर्थव्यवस्था को चकनाचूर कर दिया। आज स्थिति यह बनी हुई है कि जीडीपी माइनस 23 फीसदी पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी अपनी हठधर्मिता से देश को किस ओर ले जा रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। डीमोनेटाइजेशन, जीएसटी और अचानक लॉकडाउन जैसे निर्णय से अब तक पूरे देश में करोड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हो चुके हैं। नौकरी कर रहे लोगों की नौकरी छीन गई, आए थे अच्छे दिन का ख्वाब दिखा कर लेकिन देश को अंधकार में ले गए।
डॉ तौसीफ ने कहा कि राजनैतिक एवं आर्थिक तौर पर कड़े फैसले लेने के लिए दूरदर्शी होना अति आवश्यक है ,तभी जाकर वह फैसले देश हित में लाभदायक साबित होते हैं इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता फेल हो चुकी है। देश की आम जनता को समझ में आने लगा है।
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