बीरभूम: राज्य में अवैध गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप में कई नेताओं और मंत्रियों को भी जेल जाना पड़ रहा है। देवचा पचामी में भी पत्थरों के खदानों के दस्तावेज सही नहीं हैं। इसलिए पत्थर खदान के व्यापारी भी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते।

इसलिए उन्होंने तब तक खनन व्यवसाय नहीं चलाने का फैसला किया है जब तक कि दस्तावेज पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाएं। इस कारण एक सितंबर से पत्थर हटाने का काम पूरी तरह ठप हो गया है।

अवैध पत्थर उत्खनन पर रोक

इतना ही नहीं जिले के अन्य क्षेत्रों में पत्थर खदानों ने भी अवैध पत्थर उत्खनन पर रोक लगा दी है जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार झारखंड की सीमा से लगे इस हिस्से में काफी पथरीली जमीन है। जिला पत्थर खदान संघ के अनुसार, वर्ष 2016 से पहले बीरभूम में 217 पत्थर की खदानें वैध थीं। उसके बाद अचानक पर्यावरण प्रदूषण का मामला खड़ा हो गया। नया सर्कुलर जारी किया गया है।

राजनीतिक हलकों में सनसनी फैल गई

नतीजतन, ज्यादातर खदानें रातों-रात अवैध हो गईं। छह खदानों को छोड़कर शेष 213 खदानों को अवैध घोषित किया गया। इसके अलावा जिले में करीब डेढ़ हजार क्रशर थे। इनमें से ज्यादातर अवैध थे।

खदान व्यापारियों का दावा है कि अनावश्यक परेशानी से बचने के लिए यह फैसला लिया गया है। उनके मुताबिक जिस तरह से CBI ने राखी पूर्णिमा की सुबह अनुब्रत को पकड़ा, उससे पूरे इलाके के राजनीतिक हलकों में सनसनी फैल गई है।

इसे पढ़े : देवघर में वज्रपात से तीन की मौत

देवघर में वज्रपात से तीन की मौत

इस बीच देवचा पचामी सहित जिले के उत्खनन व्यवसाय में शामिल लाखों श्रमिकों के बारे में माना जाता है कि वे रातों-रात बेरोजगार हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि देवचा पचामी में हो रहे पत्थर उत्खनन को अणुब्रत मंडल का संरक्षण प्राप्त था। लेकिन अणुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद खदान व्यवसायी संरक्षण विहीन हो गए हैं और अपने अपने खदानों को बंद करने का फैसला किया है।

Show comments
Share.
Exit mobile version