रांची। श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) जल्द ही एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा और मजदूरों हितों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनुमति दे दी है। यह पहला मौका है, जब बीआरओ किसी राज्य के श्रमिकों को ले जाने के लिए वहां की सरकार से एमओयू करने जा रही है। बीआरओ के लिखित आश्वासन के अनुसार, मजदूरों को प्रति माह 18000 रुपए से 26000 हजार रुपए तक भुगतान होगा।
यह राशि उनके बैंंक खातों में भेजी जाएगी। इसके अलावा चिकित्सा, परिवहन समेत अन्य सुविधाएं भी मजदूरों को उपलब्ध होंगी। उल्लेखनीय है कि 1970 के दशक से झारखंड के मजदूर साल में दो बार लेह-लद्दाख व हिमाचल प्रदेश में सीमा पर बननेवाली सड़कों में काम करने जाते हैं। लॉकडाउन में वहां से 60 मजदूरों को एयर लिफ्ट करने के बाद सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर मजदूरी, सुरक्षा, मेडिकल सुविधा देने का मुद्दा रक्षा मंत्रालय और बीआरओ के समक्ष उठाया गया। सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने 31 मई को बीआरओ के डीजी व रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को पत्र भी लिखा।
सीएम ने दी अनुमति, कहा… श्रमिकों के अधिकार से समझौता नहीं होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सीमा पर राष्ट्र की सेवा करनेवाले श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित कराना भी राज्य सरकार की समान प्राथमिकता है। मजदूरों की शिकायत थी कि समय पर उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता।
मजदूरों के लिए ये प्रावधान
कुशल, अकुशल और अर्द्ध कुशल मजदूरों की मजदूरी में 15-20% की बढाेतरी होगी। मेडिकल, परिवहन व अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी। यह 10 जून से प्रभावी हाेगा। अभी अकुशल मजदूर को वहां 14-18 हजार, अर्द्ध कुशल को 15500-19000 रुपए तक और कुशल को 18500 से 23100 रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। इसके अलावा दुरुह क्षेत्रों में राशन के लिए भी 3000 रुपए प्रति माह का भुगतान किया जा रहा है।
बीआरओ 11815 मजदूरों की सीधी नियुक्ति करेगा। मजदूरों का निबंधन जिला उपायुक्तों के माध्यम से करेगा और सारी सूचनाएं राज्य को देगा।