रांची। फूलों से भगवान का श्रृंगार होता ही है। विशेष मौके पर घर और आंगन भी सजाए जाते हैं। रांची के नगड़ी के लालमोहन ने इन फूलों से अपनी और अपने साथ जुड़े कई और लोगों के जीवन को महकाया और खुशगवार किया है। वैसे तो अक्सर फूलों के नजदीक आकर भौंरे गुनगुनाते हैं। लेकिन रांची के नगड़ी स्थित लालमोहन के बागीचे में आकर आप भी जरूर गुनगुनाने लगेंगे। दस एकड़ से अधिक मे फैले लालमोहन के खेतों मे वैसे तो फूलों की कई प्रजातियां हैं। लेकिन यहां लगने वाली फूलों की किस्म बाजार की मांग के अनुसार निर्धारित होती हैं। यही कारण है कि गेंदे के फूलों की तादाद यहां कुछ ज्यादा है। फूलों की खेती से लालमोहन के महीने की आमदनी लाखों मे है ।जो बागीचे की तरह ही इनके जीवन मे खुशियों की खुशबू बिखेर रहा है। शादी-ब्याह और पर्व-त्योहार के खास मौकों पर फूलों की मांग कुछ ज्यादा रहती है। लेकिन तैयारी ऐसी कि एक खेत के फूल खत्म हुए नहीं उससे पहले दूसरे खेतों मे फूल लहलहाने लगते हैं, जिससे यहां काम करने वाले मजदूरों को सालों भर रोजगार मिल जाता है। झारखंड के बाजार अभी तक कोलकाता के फूलों से गुलजार रहे हैं। हालांकि अब बड़े पैमाने पर यहां भी फूलों की खेती शुरू हो जाने से लोगों को ताजे और थोड़े सस्ते फूल मिलने लगे हैं। लेकिन अभी भी मांग के अनुरूप यहां फूलों की खेती के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं।

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