रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक की कोर्ट ने शनिवार को राज्य के विश्वविद्यालयों में रीडर के दो वेतनमान से संबंधित याचिका पर आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक ही पद के लिए राज्य सरकार दो तरह के वेतनमान नहीं दे सकती। अप्रैल 1989 के बाद प्रोन्नति पाकर बने रीडर को भी ऊंचा वेतनमान देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने संजय चक्रवर्ती व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि प्राथियों को 01 जनवरी, 1996 से बकाया का भुगतान किया जाये। इन्हें प्रशांत कुमार मिश्रा के मामले में हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए भुगतान किया जाये। मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को निर्धारित की है। दरअसल, राज्य के विश्वविद्यालयों में रीडर का दो वेतनमान राज्य सरकार की ओर से दिया जा रहा था। जबकि यूजीसी ने रीडर पद के लिए एक ही वेतनमान निर्धारित किया है। राज्य सरकार की ओर से वैसे रीडर को ऊंचा वेतनमान दिया जा रहा था जिनकी प्रोन्नति एक अप्रैल 1989 के पूर्व मिली थी। उसके बाद प्रोन्नति पाकर बने रीडर के लिए अलग वेतनमान निर्धारित किया गया था। रीडर पद के लिए दो वेतनमान को लेकर इससे पहले प्रशांत कुमार मिश्रा एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिसपर कोर्ट ने आदेश दिया कि रीडर का एक ही वेतनमान होगा, जिसका मूल वेतनमान 3700- 5700 होगा। हालांकि, बाद में रिप्लेसमेंट पे स्केल 12000- 18300 हो गया।
हाई कोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी, जिसमें प्रार्थियों के पक्ष में फैसला आया। इसके बाद सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें फिर प्राथियों के पक्ष में फैसला आया। इसी फैसले का जिक्र करते हुए संजय चक्रवर्ती व अन्य ने हाई कोर्ट में रीडर पद का ऊंचा वेतनमान देने को लेकर याचिका दायर की है, जिसपर कोर्ट ने आदेश दिया है कि रीडर को एक ही वेतनमान होगा और प्राथियों के एरियर का भुगतान करने को कहा है।
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